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अनुसन्धान-७१
आ ढांकीसाहेब !
- हसु याज्ञिक
डॉ. ढांकीसाहेबनो परिचय तो मने गत सदीना नवमा दायकामां थयो. तेओ अमदावाद आवे त्यारे - केम के आ गाळामां तेओ हजु सेवानिवृत्त न हता - डो. भायाणीसाहेबना निवासे जरूर आवे अने मोटे भागे हुं त्यां उपस्थित होउं ! बन्ने सर्जननी साहजिक शक्ति साथे- पाण्डित्य धरावे. अथी अमना चर्चा-वार्तालापनो लहावो लूटुं. क्यारेक मारी नानी नावडी पण ओ प्रवाहमां झुकावू ! परन्तु आ परिचय तो हजु बंधाता जता पायानो हतो. अमां कई विशेष उमेरायं ते मारी सरकारी सेवाना काम निमित्ते ज. गुजरात राज्यनी अकादमीओना महामात्र तरीके मारे साहित्यिक प्रतिभाओना बायोडेटा साथे पद्मश्री-पद्मभूषणादिना प्रस्तावो सरकारने मोकलवाना हता. कोई महत्त्वनी उचित ओवी व्यक्ति अमां रही न जाय एटले हुं मारा विद्यागुरु भायाणीसाहेबनुं मार्गदर्शन लउं. अमां मने भायाणीसाहेबे गणित-विज्ञानक्षेत्रे डॉ. पी. सी. वैद्य, नाट्यरङ्गभूमिविद तरीके श्री गोवर्धन पंचाल अने संशोधनक्षेत्रे डॉ. मधुसूदन ढांकी ओम त्रण विद्वानोनां नाम सूचव्यां. आ निमित्ते ज आ त्रणे विद्वानोना विद्यातपनी पूरी जाणकारी मळी. आ निमित्ते केटलीक अन्तरङ्ग सवीगत माहिती मळी.
आ तो मात्र जाणकारी. अमां अंगतता उमेराय त्यारे ज परिचय पूरो थाय. आवी तक मने भावनगरमां पूज्य सूर्योदयसूरिजी अने शीलचन्द्रसूरिजीओ पूरी पाडी. एक अभ्यास-व्याख्यान-श्रेणी निमित्ते मारे सणोसराथी सीधुं भावनगर जवानुं थयु. जैनवाळु पतावी हुं अने कनुभाई जानी ढळती सांजनी हळवी पळो माणता बेठा हता अने कंईक निमित्त नीकळ्युं एटले में हळवा सादे पं. ॐकारनाथनी मालकौंस विलम्बित तालनी 'पीर न जाणी' गणगणवानुं शरु कर्यु, मात्र मुखडो अने थोडा आलाप साथे में पूरुं कर्यु तो वांसामां अचानक थप्पो पडवा साथे संभळायुं; 'अन्तरा साथे आखी विलम्बित चीझ पूरी करो !'
पाछळ जोयुं तो ढांकीसाहेब ! पछी जोईओ शुं ? अय बाजुमां गोठवाया. अमारी संगत चाली. एमणे दक्षिणी शैलीनी गमक साथे खयालमा साथ आप्यो. मात्र जाणकारी अने परिचय ओगळी गयां अने पूरी अंगतता उमेराई ! त्यारे