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________________ २१० अनुसन्धान-७१ में जेवा जोया, जेवा जाण्या ___ - उपा. भुवनचन्द्र प्रखर स्मृति, सूक्ष्मेक्षिका, तीक्ष्ण अने तथ्यपरक अभिगम, अभ्यासर्नु विशाळ फलक, अकथी अधिक विद्याशाखाओ पर प्रभुत्व, विविध भाषाओनुं ऊंडुं ज्ञान - आवी अनेक विशेषताओनुं सङ्गमस्थान एटले श्री मधुसूदन ढांकी - ढांकीसाहेब. मानवमस्तिष्कनी क्रियाशक्तिनुं आश्चर्य पमाडे अq उदाहरण • एटले ढांकीसाहेब. १५-२० ओपरेशनोमांथी पसार थयेल जीर्णशीर्ण शरीरमां एक प्रखर प्रतिभा जाज्वल्यमान थईने निवास करती हती. हवे ओ प्रतिभा ओ निवासस्थान छोडी गई छे. अभिभूत करी दे तेवू व्यक्तित्व हवे भस्मीभूत थयुं छे. भारतनुं विद्याजगत ढांकीसाहेब जेवा विद्यापुरुषो थकी उजळु हतुं, धन्य बन्युं हतुं. गई पेढीना जाजरमान विद्वानोनी श्रेणीनी आ प्रतिभाओ आन्तरराष्ट्रीय आदर प्राप्त कर्यो हतो. आवी - आ प्रकारनी - प्रतिभा फरी जोवा मळे के न पण मळे. ढांकीसाहेबने छेल्लां वर्षोमां ज जोया छे अने मांदगीमां ज जोया छे. बेत्रण वार अमना निवासस्थाने अने बे-चार वार फोन पर मळवा- थयुं छे. पथारीवश होवा छतां वार्तालापमां तो स्वस्थ-सशक्त व्यक्तिनो रणको ज संभळातो. वातचीतनो विषय इतिहास, स्थापत्य, ग्रन्थ, ग्रन्थकार, पुरातत्त्व के भाषा जेवो ज होय; ढांकीसाहेब जे-ते मुद्दाने स्पर्शता सन्दर्भो एक पछी एक उपस्थित करता जाय - नाम-ठाम अने आनुषङ्गिक मुद्दा मूकता जाय अने हुं अहोभावथी सांभळतो रहुं. सारी ओवी लंबायेली मांदगीमां पण जो तेमनी स्मृति आटली सतेज-सतर्क होय, तो जीवनना मध्याह्नकाळे ओ मेधा केवी तो प्रखरप्रचण्ड रही हशे ? प्रत्येक मिलनवेळाओ, वातचीतनी समान्तरे, मारा मनमां आ विचार ऊठतो में अनुभव्यो छे. __ प्रत्येक विद्याशाखाना संशोधकने स्मृतिनी सहाय जोई ज; पुरातत्त्व के इतिहासना अन्वेषक माटे स्मृति एक हथियार लेखे 'हाथवगी' ज होवी घटे. ढांकीसाहेबनी स्मृति विस्मयजनक हती. वर्षों पूर्वे वांचेली/नोंधेली नानकडी विगत, ते पण जुदा ज क्षेत्रनी, अत्यारे हाथ चडेल माहिती साथे तेना अंकोडा
SR No.520572
Book TitleAnusandhan 2016 12 SrNo 71
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShilchandrasuri
PublisherKalikal Sarvagya Shri Hemchandracharya Navam Janmashatabdi Smruti Sanskar Shikshannidhi Ahmedabad
Publication Year2016
Total Pages316
LanguageSanskrit, Prakrit
ClassificationMagazine, India_Anusandhan, & India
File Size22 MB
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