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अनुसन्धान-७१
'परन्तु अमुक संजोगोमां मारी नकारात्मक लागणीओने नाबूद करवामां, संयममा राखवामां सहायभूत थाय एवा कोई नथी मळ्या.
'जो के भगवान महावीरे का छे के, तुं ज तारो मित्र छे. पण क्यारेक एवी हताशानी पळो आवी छे के त्यारे मुरब्बी मित्रनी खोट साली छे.'
‘ए हताशामांथी बहार आववाना प्रयत्नमां कोई सर्जन कर्यु छ ?'
'ए समये तो समग्र चेतना ठींगराई जाय. बधुं मूकबधिर थई जाय.' पछी सहेज अटकीने घेरा उदास स्वरे बोल्या. 'हुं न्युरोसीसनो भोग बन्यो हतो. बायोकेमिक दवाओ लईने हुं साजो थयो छु. अत्यारे पण कोईक दुःखद वात, शोकस्थानथी बचतो रहुं छं.' _ 'त्यारे जातमांथीय भरोसो ऊठी गयो हतो ?'
'हा, हुं कटु अनुभवोथी आखो ने आखो हचमची गयो हतो. जीवनमांथी रस ऊडी गयो हतो. अत्यारे लागे छे ए मारुं अज्ञान हतुं, मूर्खामी हती, पण अस्तित्वमां जे तड पडी ए तो पडी ज.'
'ए सिवाय ए समये बीजुं शुं थाय ?'
'मूळे हुं अन्तर्मुख प्रकृतिनो छु अने ज्यारे ज्यारे जीवनमा हताशा आवी छे, आ बाह्य भौतिक जगत परथी मन ऊठी गयुं होय, त्यारे कलाने समजवामां ऊंडो ऊतरतो गयो छु. मारी कलाना मार्गे अलायदी मानसिक दुनिया रची छे. आने पलायनवृत्ति गणी शकाय.'
___ 'घणा उत्तम कलाकारो हताशामांथी ऊगरी नथी शकता अने नष्ट थइ जाय छे. तमने कलाए ऊर्ध्वगामी राहत आपी, तमारा माटे संजीवनी बनी एने प्रारब्ध गणी शकाय ? तमे नसीबमां मानो छो ?' ____ 'कोई सुपर कोन्सियस, चैतन्य तत्त्व होवानी शक्यता छे जे आपणुं भावि नियन्त्रणमा राखतुं होय, एटले ज कदाच लाचारी अनुभववी पडे छे.' ___ 'नंगो किंमती पथ्थरोनुं ज्ञान, आटलुं तलस्पर्शी ज्ञान केवी रीते शक्य बन्यु ?' मधुसूदनभाईने रत्नोनी घणी सारी परख छे.
१९७४नी सालमां मारां पत्नीने मुम्बईमां मेजर ओपरेशन कराव्युं, त्यारे एमने हीरानी वीटी आपवानी थई. झवेरी बजारमा गयो. हीरा जोया,