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________________ ओक्टोबर-२०१६ १९५ 'दक्षिण भारतनी विख्यात गायिका शुभलक्ष्मीना कण्ठे गवायेलां मीरांनां भजनो गातो. त्यारे थयुं के कर्णाटक शैली शिखाय तो ज भजनोमां विशिष्ट भावप्रक्रिया अने भावनी उत्कटता सधाय अने गान हृदयने स्पर्श. ए माटे व्यङ्कट रामानुजम् पासे दोढ वरस आरम्भिक तालीम लीधी हती.. 'पछी बनारसमां हिन्दुस्तानी शास्त्रीय संगीत शीखवा किराना घरानाना छनालाल मिश्रा पासे गयो. कर्णाटकी ढंगथी गावा टेवाई गयेला गळाने हिन्दुस्तानी ढाळमां ढाळq थोडं अघळं हतुं, पण खंत अने उत्कट झंखनाने लीधे ए थई शक्यु. मिश्राजी अने नारायण चक्रवर्ती पासे हिन्दुस्तानी संगीतनी अने चन्द्रशेखर तेम ज वीरभद्रराव पासे कर्णाटक संगीतनी साधना करी. _ 'ज्यां ज्यांथी सारूं संगीत सांभळवा मळे त्यां जतो, संगीत शीखतो. संगीतकारो, नृत्यकारोनो विशेष परिचय केळवीने एमना विशे लेख लखतो. पछीथी मालकौंस रागना असली नामनुं संशोधन कर्यु. संगीतमा रक्तिनो विभाव, हिन्दुस्तानी अने कर्णाटक संगीतना रसकारणनो तुलनात्मक अभ्यास आदि पर पण लेखो लख्या.' 'तमे आ बधी प्रवृत्ति माटे समय केवी रीते फाळवता ?' 'चालु दिवसे रोज रात्रे अने शनि-रवि तथा रजाना दिवसोए.' एक रात्रे एमणे बेंग्लोर भद्रावती रेडियो स्टेशन परथी नीलम्मा कडम्बीनो रूपेरी घंटडी जेवो अपूर्व माधुर्यभर्यो कण्ठ सांभळ्यो. संस्कृत कीर्तन भोगीन्द्रशायिनम्' गवाई रह्यं हतुं. ए संगीत एमने दिव्य रसानुभूति करावी गयु. एमने थयुं, आ महान कलाकारने मळवू ज पडशे. केटलांक वर्ष बाद तक मळतां महेसुरमा एमना निवासस्थाने गया. आदर अने उत्कटताथी ए लालित्यपूर्ण गान सांभळ्युं ने एमनी पासे ए कृति शीख्या. कहे, 'भावात्मक रीते गातां हुं एमनी पासेथी शीख्यो.' 'ओह ! केवू हशे ए गान ?' तो तरत ज मधुसूदनभाईए ए गान गायु. स्वर- सौन्दर्य, साहित्यभाव, रसलयनी खूबी टुकडा पाडी पाडीने समजाव्युं. समग्र वातावरण ज्योतिर्मय थई ऊठ्यु. ए कहे, 'उत्तम संगीत सीधुं आत्माने स्पर्शे. जे संगीतमां भक्ति भळी होय
SR No.520572
Book TitleAnusandhan 2016 12 SrNo 71
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShilchandrasuri
PublisherKalikal Sarvagya Shri Hemchandracharya Navam Janmashatabdi Smruti Sanskar Shikshannidhi Ahmedabad
Publication Year2016
Total Pages316
LanguageSanskrit, Prakrit
ClassificationMagazine, India_Anusandhan, & India
File Size22 MB
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