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ओक्टोबर-२०१६
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म्युझियमना ते वखतना नियामक डॉ. गोएत्सने बतायूँ. ए जरूरी सलाहसूचनो आपीने प्रोत्साहित करतां कहे, 'बस आम ज करता रहो.'
दरमियान हुं मांदो पड्यो ने बेन्कनी नोकरी छोडी. पिताजी जूनागढमां उद्यान-सर्वेक्षक बन्या. त्यां एकवार हुं एमना फार्म पर गुलाबना छोड पर कलम करतो हतो त्यां एक सद्गृहस्थ आवी चड्या. दोढेक कलाक एमने बगीचामां फेरव्या. रसपूर्वक ए मने जातजातना प्रश्नो पूछता रह्या ने हुं एमनुं कुतूहल संतोषतो रह्यो.
बीजे दिवसे ए सद्गृहस्थ अमारे घरे जमवा आव्या त्यारे जाण्यु के ए तो कृषिविभागना वडा हता. एमणे राजकोट जई मारी मददनीश कृषि-अधिकारी रूपे नियुक्तिनो पत्र मोकल्यो, मारी पासे ए विषयनी कोई डिग्री न होवा छतां.
आम मधुसूदनभाई कृषिसंशोधन विभागमा जोडाया. जे क्षेत्रमा डग भर्यां एनी आरपार नीकळवाना सङ्कल्प साथे एमणे पुस्तकालयोमा जई वाचन, चिन्तन कर्यं. खेतरोमां प्रयोगो कर्या. तेओ मानता : कपास तथा घउं सत्त्वशील तो होवां ज जोईए. उपरान्त एनां रूप, रङ्ग अने आकृति चित्ताकर्षक होवां जोईए. तमे जुओ ने गमी जाय एवां !
मुम्बईथी प्रथम 'ओल इन्डिया मेंगो शो' सौराष्ट्र तरफथी डेप्युट थयो त्यारे त्यां अठवाडियाना निवास दरमियान 'प्रिन्स ऑफ वेल्स' म्युझियममां जईने अभ्यास कर्यो.
जामनगरमां गुजरात पुरातत्त्व विभाग तरफथी योजायेला प्रदर्शनमां पुरातत्त्वना अधिकारी एमना म्युझियमना ज्ञानथी प्रभावित थया. पुरातत्त्व खाताना तेओ वडा बन्या पछी मधुसूदनभाईने कह्यु, 'अमारा खाताना जूनागढ म्युझियम माटे क्युरेटर जोईए छे, तमे अरजी करो.' . 'पण मारी पासे तो विज्ञानशाखानी डिग्री छे.' मधुसूदनभाई ए कडं.
'अमारे वैज्ञानिकनी जरूरत छे. तमे अरजी करो.
मधुसूदनभाईए अरजी करी. इन्टरव्यू आपवा गया त्यां एमने एक प्रश्न पुछायो तुतान खामननी कबर विशे. ए कबर विशे रीतसर क्यांय वांच्युं न हतुं, पण एना विशेनुं लखाण जोयुं हतुं. क्यां? तो याद आव्यु के नानपणमां जोधपुर जते समये पस्तीना छापामां चंपल बांधते समये ते वांच्युं हतुं. यादशक्तिना जोरे