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ओक्टोबर २०१६
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स्वाध्याय
श्री अनुयोगद्वार सूत्रना एक पाठनी प्रामाणिकता मुनि त्रैलोक्यमण्डनविजय
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अनुयोगद्वारसूत्रनुं, मलधारी श्रीहेमचन्द्रसूरिजी विरचित वृत्ति तथा पूज्य आचार्य श्रीअभयशेखरसूरिजी कृत टिप्पणी सहित, दिव्यदर्शन ट्रस्ट धोळकाथी, सं. २०६३मां प्रकाशन थयुं छे. अत्रे आचार्यश्रीनां बहुमूल्य टिप्पणोने लीधे वृत्तिगत घणा पदार्थो विशद थया छे. आ टिप्पणो आचार्य श्रीनी विद्वत्ताना परिपाक - समां छे, तो पण अमुक टिप्पणो पर पुनर्विचार करवानी जरूर लागे छे. पुद्गलपरावर्त - सम्बन्धित एक टिप्पण पर आ पूर्वे अनुसन्धान-६३मां विचारणा करेली छे. अत्रे पुद्गलोनी सङ्ख्याने लगता अन्य ओक टिप्पण पर विचार करवाना उपक्रम छे. परन्तु आ विचार करतां पूर्वे थोडाक पारिभाषिक शब्दोनी सङ्क्षिप्त व्याख्या जोई ई
आ समग्र सृष्टिमां जे छूटा (कोईपण स्कन्धमां अत्यारे न जोडायेला होय तेवा) परमाणुओ छे, ते अनन्तानन्त परमाणुओनो समावेश पहेली वर्गणामां थाय छे. अ ज रीते बे-बे परमाणु भेगा मळीने जे द्व्यणुक रचे ते तमाम द्व्यणुकोनी बीजी वर्गणा, त्र्यणुकांनी त्रीजी, चतुरणुकोनी चोथी, ओम क्रमश: ओक ओक परमाणु वधतां वधतां उत्कृष्ट सङ्ख्यातुं आवे त्यां सुधी सङ्ख्यातप्रदेशिक स्कन्धोनी सङ्ख्याती वर्गणाओ छे. ओमां छेल्ली सङ्ख्याती वर्गणामां समाविष्ट पुद्गलस्कन्धमां अक परमाणु उमेराय ओटले जघन्य असङ्ख्यातप्रदेशिक स्कन्ध रचाय छे. आवा स्कन्धोनी पहेली असङ्ख्यातप्रदेशिक वर्गणा बने छे. तेमां पण पूर्ववत् क्रमश: ओक-अक परमाणु वधतां वधतां उत्कृष्ट असङ्ख्याता सुधी असङ्ख्य असङ्ख्यातप्रदेशिक स्कन्धोनी वर्गणा रचाय छे. ओ पछी परमाणुवृद्धिना क्रमे अनन्तप्रदेशिक स्कन्धोनी अनन्त वर्गणाओ छे.
अनुयोगद्वारसूत्रमां परमाणुओने 'अनानुपूर्वी' द्रव्यो तरीके ओळखाववामां आव्या छे. केम के ते पोते ओक ज होवाथी तेमनी प्ररूपणामां १-२-३, १-३-२, २-१-३ ओवी अलग अलग रीते परमाणुओनी आनुपूर्वी