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________________ ओक्टोबर-२०१६ सम्पादन गुणसौभाग्यापरनाम-श्रीजयवन्तसूरिविरचित: श्रीशान्तिस्तवः - सं. मुनि कल्याणकीर्तिविजय श्रीशान्तिनाथ परमात्माना संस्कृतभाषानिबद्ध आ स्तवमां कुल २२ पद्यो छे, जेमांथी ११ पद्यो उपजाति, स्वागता, वसन्ततिलका, अनुष्टुब्, शार्दूलविक्रीडित वगेरे छन्दोमां रचायेला छे अने बाकीनां ११ पद्यो रासक-गीतिरूपे रचायेला छे. १ श्लोको ने १ रासकगीत - ए क्रमे रचना चाले छे. प्रत्येक पद्य उत्कृष्ट काव्यशैलीमां रचायेलुं छे अने यमक-प्रास वगेरे अलङ्कारोथी विभूषित छे. आ कतिना कर्ता सोळमी सदीना प्रसिद्ध मध्यकालीन कवि श्रीजयवन्तसूरिजी छे, जेमनुं बीजू नाम गुणसौभाग्यसूरि छे. तेओ वडतपगच्छनी रत्नाकरशाखाना उपाध्याय विनयमण्डनना शिष्य हता. तेओ संस्कृत काव्यशास्त्रना अभ्यासी हता एवं जाणवा मळे छे, अने संस्कृत-प्राकृत काव्यपरम्पराओनो पण एमने ऊंडो परिचय हशे, एq एमनी कृतिओ बतावे छे. एमणे गुजराती भाषामां बे रासकृतिओ - 'शृङ्गारमञ्जरी' (सं. १५५८) अने 'ऋषिदत्तारास' (सं. १५८७), तथा स्तवनो. लेख(पत्र), संवाद, फाग, बारमासा वगेरे प्रकारनी कृतिओ अने ८० जेटलां गीता रचेला उपलब्ध थाय छे. ते सिवाय संस्कृत भाषामां पण अनेक कृतिओ रची हशे, ते प्रस्तुत कृतिने जोतां अनुमानी शकाय छे. तेमनी कृतिओ जोतां तेमनी एक भावकवि तरीकेनी प्रतिभा उपसी आवे छे, अने अलङ्कारो, विविध अभिव्यक्तितराहो, वाग्भङ्गिओ, पद्यबन्धो, समस्याबन्धो, सुभाषितो वगेरे पर, कवि, अजब प्रभुत्व प्रतीत थाय छे. कविने सर्व रसोना आलेखननी फावट छे पण एमनी कृतिओमां चक्रवर्ती छे ते तो स्नेहरस ज. तीर्थङ्करस्तवना पण प्रेमलक्षणा भक्तिना रंगे रंगायेली छे. आ रीते आ आचार्य, मध्यकालीन साहित्यना एक प्रथम पंक्तिना सर्जक कवि बनी रहे छे. आ कृतिनी अवचूरि पण प्रतिमां पञ्चपाठस्वरूपे साथे ज लखायेल छे. परन्तु दुर्भाग्ये तेना मात्र एक ज श्लोक परनी अवचूरि लखाई छे, अने ते पछी लखवानी जगा खाली रही गई छे. अवचूरिना कर्ता विशे कोई निर्देश नथी. १. कविनो परिचय, सूक्ष्मदर्शी विवेचक-संशोधक-सम्पादक श्रीजयंत कोठारी सम्पादित “जयवन्तसूरिनी छ काव्यकृतिओ" ना आधारे रजू करेल छे.
SR No.520572
Book TitleAnusandhan 2016 12 SrNo 71
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShilchandrasuri
PublisherKalikal Sarvagya Shri Hemchandracharya Navam Janmashatabdi Smruti Sanskar Shikshannidhi Ahmedabad
Publication Year2016
Total Pages316
LanguageSanskrit, Prakrit
ClassificationMagazine, India_Anusandhan, & India
File Size22 MB
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