________________
जुलाई-२०१६
ठाकरसी मनि हरखीओ, पामी अनुमति आज । महिसाणिं मामा भणी, आवई मिलवा काजि ॥१९३।। महिसाणा-पुर-मंडणु, चंपकसाह सुजाण । साह-सोमदत दीख्यातणा, उछव करइ मंडाण ॥१९४।।
॥ ढाल ॥
संवेग-रसई संपूरु, दीख्या लेवा घन सूरु । तव सीहतणी परि कीधी, मोकलामण सवे जन दीधी ॥१९५।। वडूओ साह चंपक धीर, संसारदे घरणी गंभीर । . पुत्र दोइ वर धींग-सखाई, साह सोमदत्त-भीमजी सवाई ॥१९६।। धिन मामु सोमदत्त-नांम, करइ आदरसिउं सवे काम । वित वावइ अनोपम ठाण, करइ उछव भलइ मंडाणिइं ॥१९७।। महिसाणुं नयर सोहावइ, बहु नयर तणा लोक आवेइ । घरि घरि बहू उछव बाजइ, सुरपुरथी अधिक विराजइ ॥१९८।। सवे सजन मिली न्हवरावइ, ठाकर देखी सुख पावइ । पहिरावइ सवि सिणगार, सिर खूप रच्यु मनोहार ॥१९९।। कांनइ दोइ तूंगल दीपइ, जाणूं रवि-ससीअर जीपइ । ओपइ सिर तिलक विसाला, तंबोल भरे दोइ गाला ॥२००।। उरवर नव हार सोहावई, अंगि अंगिया लाल बनावइ । बांहिं दोइ बाजूबंधा, धरइ कुसुम-माल सुभ-गंधा ।।२०१।। कर-संपुट सिरिफल सोहइ, वरघोडे सब जग मोहइ । सब-जनकुं तिलक करीजइ, साजनकुं सिरिफल दीजइ ॥२०२।। ततख्यण बहू वाजिन वाजइ, प्रतिछंदइ अंबरु गाजइ । वाजइ तव ढोल-नीसाणा, बहू-थोकई करति पयाणा ॥२०३।।