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लालंता पालंतडां, षट वछर हूआ जाम | मात-पीता मनिं चींतवइ, पुत्र भणावुं ताम ॥ ९७||
वरस सातमई पुत्रनई, सुंदर-मति सुकुमाल । मात-पिता स - महोछवई, भणवा ठवइ नेसालि ॥९८॥
अनुसन्धान-७०
॥ ढाल ॥
पाटी खडीओ हाथि विसाला, पुत्र भणेवा जाइ रे निसाला । भूषण - भूषित तुनुं सुकुमाला, भणिदं सास्त्र मतिमान रसाला ॥९९॥
कर जोडी गुरु-सेवा कीजइ, विनय करी विद्या सवि लीजइ । विण विद्या न सोहे रूपाला, भणइं सास्त्र मतिमान [र]साला ॥ १०० ॥ आंकणी ॥ आउलि-फूल जिसा रे सुरंगा, विद्या-गंध-रहित जस अंगा ।
न लहि मान - महुत नर ठाला । भणई० ॥१०१॥
आलसवंत विद्या नवि पावइ, विण विवसा घरि संपति नावइ । न्यान संपति सवे लहि ऊजमाला । भणइं० ॥ १०२ ॥
सीउं कीजइ नर सुकुमलि (सुकुलिं) प्रसूता, विद्या - हीन नर जमि (गि) विगूता । विण विद्या नर कहीइ छाला । भणइं० || १०३ ||
नरपति पूजा लहइ निजदेसई, पंडित लहइ निजदेस - विदेसई । विद्यावंत नर नमई भूपाला | भणई० ॥ १०४ ॥
धन- हीना नर हीन न कहीइ, धन कहु कहिने निश्चल रहीइ । विद्या - हीन नर हीन सुगाला | भणई० || १०५।।
विद्यावंत नर बहू गूण भरीआ, मूरखमाहि सवे अवगुण धरीआ । विद्यावंत नर होइ सुखाला । भणइं० ||१०६||
विद्यावंत नर अमृत-वाणी, मूरख वचन बोलिउं पापिणी । पंडित पामई बहू गुण - माला | भणई० ॥ १०७॥
विण विद्या वाणिज नवि बूजइ, विद्यावंत मति सघली सूझइ । विद्यावंत नवि हींडेइ पाला । भणई० || १०८।।