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________________ जुलाई-२०१६ ७३ पूजा-प्रतिष्ठा जिनतणी, तीरथ-यात्र कीधी घणी, कीधी घणी, दानि जाणिं वूठु मेहलु ए ॥४७|| थीरपाल-सुत आणंदला, प्रागवंसि कुले चंदला, चंदला, खट संख्याई दीपता ए । संघपति पोटा लाला ए, खीमा भीमा सुकुमाल ए, सुकुमाला ए, कदली-दलनइं जीपता ए ॥४८।। करमण धरमण संघपती, पुण्य-विषय ते सुभ-मती, सुभ-मती, देव प्रसंस करइ घणी ए । तेमां भीम भीम-संकास ए, पूरइ सहू केरी आस ए, ____ आस ए, दोहिलां दुबलां जन[त?]णी ए ॥४९॥ संघवी भीमा पंच नंदना, दुस्कृत-दारिद्र-निकंदना, . निकंदना, दान करी ते सुरतरा ए । संघपति हीरा हरखा ए, थिरपाल श्रीपाल सरखा ए, सरखा ए, तेजक-प्रमुख बंधव वरा ए ॥५०॥ अनुक्रमि ते पोढा हुआ, लेइ परणाव्या जुजूआ, जुजूआ, थाप्या निज निज घर-धणी ए। . मात-पिता अनसन करी, लीउ वास ते सुर-पुरी, सुर-पुरी, जिहां बहू सुख-संपति घणी ए ॥५१॥ सुगुरुतणा गुण सांभली, दीजइ दांन ते मन रुली, मनि रुली, कीजइ भगति बहु भावसिउं ए । गुरु-चरणां नित अनुसरूं, जय जंपइ बहू सुख वरु, सुख वरु, स्वर्ग अनइं अपवर्गना ए ॥५२।। इति परीया-वर्णनी ढाल ॥२॥ 'दूहा ॥ राग रामगिरी ॥ श्रीकल्याणविजयवाचक तणु, जनमादिक वृत्तांत । पभणुं भविअण सांभलु, तनु-मन करी अकांत ॥५३।।
SR No.520571
Book TitleAnusandhan 2016 09 SrNo 70
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShilchandrasuri
PublisherKalikal Sarvagya Shri Hemchandracharya Navam Janmashatabdi Smruti Sanskar Shikshannidhi Ahmedabad
Publication Year2016
Total Pages170
LanguageSanskrit, Prakrit
ClassificationMagazine, India_Anusandhan, & India
File Size11 MB
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