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जुलाई-२०१६
जतां पूर्वे जगद्गुरुओ उपाध्यायजीने खास बोलावीने करेली गुजरात संभाळवानी भलामण के अन्त समये "जो विजयसेनसूरि के कल्याणविजयजी हाजर होत तो ओमने गच्छनी व्यवस्था सम्बन्धी सूचनो करीने अने गच्छ भळावीने हुं निश्चिन्त थई शकत" अवां जगद्गुरुओ उच्चारेलां वचनो पण आ वातनी ज पुष्टि करे छे.
३. पूर्वे जणाव्यं तेम श्रीकल्याणविजयजी गच्छपति थवाने सर्वथा योग्य हता. अने फक्त अमना माटे ज नहि, विजयहीरसूरिना परिवारना अकेओक उपाध्याय माटे आ विधान करी शकाय तेम छे. तेम छतां ओ पूज्यो पोतानी महत्ताने गौण करीने अनुशासनना-व्यवस्थाना अंगरूप बनी रह्या. गुरुनी आज्ञा अने शासननी सेवाने ज ओ वरिष्ठोओ सर्वोपरि गणी. आनो जोटो क्यां जडे तेम छे ?
उपाध्याय श्रीकल्याणविजयजीनी जीवनगाथा, तेमना हाथे सर्जायेलां शासनप्रभावनानां रूडां कार्यो, तेमनो सकल श्रीसङ्घमां के समाजमा व्यापेलो पुण्यप्रभाव वगेरे वातोने गूंथतो प्रस्तुत रास १५ ढाळ अने तेनी ३१९ कडीओमां पथरायेलो छे. दरेक ढाळ अने तेनी पूर्वेना दुहा गावा माटे थयेलो विभिन्न रागोनो निर्देश रासनी मूल्यवत्तामां वधारो तो करे ज छे, पण कर्तानी संगीत विशेनी जाणकारी पण सूचवे छे. काव्यनी विषयवस्तु सड्क्षेपमां जोईओ तो - ढाळक्रमाङ्क विषय
देवगुरुनमस्कार-नगरवर्णन पूर्वजवर्णन ठाकरसीनो जन्म, उत्सव व. हालस्डं निशाळगमन, विद्यानी अनिवार्यता जगद्गुरुनी स्तवना जगद्गुरुनी देशना ठाकरसीने जागेलो वैराग्य दीक्षानी अनुमति अंगे माता-पुत्रनो संवाद दीक्षामहोत्सव उपाध्यायजीना हाथे थयेला विविध शासनप्रभावनानां कार्यो जगद्गुरु द्वारा अकबर-प्रतिबोध उपाध्यायजी कृत वैराट देशमा प्रतिष्ठा वणजाराना उपमाने उपाध्यायजीनुं गुणवर्णन गुरुगुणगान, प्रशस्ति
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