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जुलाई - २०१६
'श्रीवस्तुपालादिप्रशस्तिसंग्रह 'नो परिचय
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विजयशीलचन्द्रसूरि
आपणा उत्साही, अभ्यासी अने संशोधनप्रेमी बन्ने मुनिराजो ओक अपूर्व अने ऐतिहासिक रचनानुं सम्पादन लईने 'अनुसन्धान ना आंगणे आव्या छे. रचना त्रुटित छे, अपूर्ण छे, तो पण महत्त्वपूर्ण छे. गुजरातना महामन्त्रीओ वस्तुपाल अने तेजपालनां कार्यो साथै संकळायेली आ रचनामां ते बेनां अनेक विशिष्ट अने अद्यावधि अज्ञात सत्कार्योनुं वर्णन छे. वस्तुपालविषयक घणी प्रशस्तिओ उपलब्ध छे. तेमां तेमनां कार्योनुं वर्णन पण थयुं ज छे. छतां आ रचनामा घणी बधी नवी अज्ञात वातो नोंधायेली होय एवं जणाय छे.
प्रतिनां फक्त बे ज पत्र प्राप्त छे. तेमां वस्तुपालनी प्रशस्ति प्रथम पत्रमां छे, जेनां आदि - अन्त नथी; तेथी ते केटला श्लोकप्रमाण होय तथा कोनी रचेली होय, क्यां उत्कीर्ण होय, ते वगेरे कशुं जाणी शकाय तेम नथी. बीजा पत्रमां पाटणना राणिग सचिवना देरासरसम्बन्धी तथा तेना पुत्रादिए करेल सुकृतोनां वर्णननी प्रशस्ति छे. तेनो प्रारम्भ नथी, अन्त छे. ५९ पद्योनी ते रचना छे. ते पछी ते ज परिवार सम्बन्धी गद्य - प्रशस्ति छे. तेमां प्रशस्तिकर्तानुं नाम तथा रचनासंवत् उल्लिखित छे.
प्रतिना अक्षर-मरोड आदिना आधारे ते १४मा सैकामां लखायानुं अनुमान थाय. आ बधी प्रशस्तिओ, जे ते चैत्यमां के स्थानमां उत्कीर्ण शिलालेखरूप हो, अने तेनी आ लिखित नकल जणाय छे.
हवे आपणे प्रतिगत प्रशस्तिओ द्वारा प्राप्त थती ऐतिहासिक विगतो जोईए, वस्तुपाल - - तेजपाल - सम्बन्धित, प्रथम- पत्र-गत, पद्यात्मक प्रशस्तिमां, उपलब्ध अंश - अनुसार, चतुर्थ अधिकारना बीजा पद्यथी वाचना शरु थाय छे. ओटले प्रथमना ३ अधिकारो जेटलो भाग सम्पादकोने जड्यो नथी. ते जडी आवे तो प्रशस्ति पूर्ण बने ज, उपरांत घणी ऐतिहासिक विगतो जाणवा पण मळे. क्यांक, क्यारेक आ त्रुटित अंश कोईने जडी आवे तेवी आशा.
चतुर्थ अधिकारमा ११ पद्यो छे. ते 'देवपत्तनीय अधिकार' नामनो छे. देवपत्तन एटले प्रभासपाटण. त्यां प्रख्यात सोमनाथ महादेवनुं तीर्थ छे. चन्द्रप्रभजिननुं पण ए तीर्थ छे. 'सोम' अने 'चन्द्र' बन्ने धर्मोना तीर्थ साथे आ ज
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