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________________ १५८ अनुसन्धान-७० ( उपरना लखाणनो सारानुवाद) घणा बधा पूर्व अध्ययन बाद वोर्यो इन्डोलोजिस्टे आपणने आर्थर बाशमना आजीविको परना अत्यार सुधीना प्रमाणित कार्यनो एक योग्य वारसदार अहीं आप्यो छे, के जेणे जैन सन्दर्भो करतां बौद्ध सन्दर्भोनो वधु प्रमाणमां उपयोग कर्यो छे । जेमां विविध धर्मपरम्पराओना नायक एवा पास, वर्धमान महावीर अने गोशाल मंखलिपुत्र वच्चेना चर्चास्पद सम्बन्धो अंगे लेखक पुनः परीक्षण करवा इच्छे छे एवा आ पुस्तकथी घणी विषमताओ दूर थती जणाय छे । आजीविक साहित्यना अभावमां आपणे एमना धर्मसिद्धान्तोने समजवा माटे बौद्ध अने जैन सन्दर्भो पर ज आधार राखवो पडे छे । गोशालाना पिता कदाच एक यायावर भाट हता अने तेओ थोडाक समय माटे गोबहुल ब्राह्मणनी गोशाळामां रोकाया हता, ज्यां गोशालकनो जन्म थयो होवानुं कहेवाय छे । PB (लेखक) एक कोष्टकमां गोशाल अने महावीर वच्चेना जटिल सम्बन्धो विशे स्पष्टता करतां जणावे छे के गोशाल प्राचीन जैन समाजनो एक महत्त्वपूर्ण शिक्षक हतो अने एना अनुयायीओ एने 'तीर्थङ्कर' तरीके ओळखता हता । मूळभूत रीते 'पास'ना शिष्य, चीवरधारी. अने पात्रभोजी एवा महावीरे गोशालने मळ्या पछी नग्नता अपनावी अने करपात्री बन्या । त्यारबाद, संभवतः जैनोए लेश्या-आधारित सामाजिक वर्गीकरणनी कल्पना, ज्योतिष तेमज भविष्यकथनने सम्बन्धित विचारो आजीविको पासेथी उछीना लीधा । आ आजीविको साथे जैनोए शरुआतमां कदाच अधिकृत शास्त्रो के जे 'पूर्व' तरीके ओळखाय छे, तेमनो विनिमय को हतो । 'इसिभासियाई' आ पूर्वनी परम्परानो ज एक अनागमिक फणगो छ । आ पूर्वोनुं गठन कदाच आजीविकोनां महानिमित्तोना आधारे थयुं हतुं । अने सम्भवतः तेथी ज ते सम्पूर्णपणे भूलाई चूक्या छ । ___PB आ उपरांत संलेखना, नियतिवाद, स्याद्वाद/अनेकान्तवाद, जीवअजीव-जीवाजीव एम त्रण राशिमां विभाजन जेवी अन्य केटलीक मान्यताओ तेम ज. धर्मक्रियाओ अने पोताना घणा बधा फोटोग्राफ्स साथे
SR No.520571
Book TitleAnusandhan 2016 09 SrNo 70
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShilchandrasuri
PublisherKalikal Sarvagya Shri Hemchandracharya Navam Janmashatabdi Smruti Sanskar Shikshannidhi Ahmedabad
Publication Year2016
Total Pages170
LanguageSanskrit, Prakrit
ClassificationMagazine, India_Anusandhan, & India
File Size11 MB
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