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________________ जुलाई-२०१६ १४५ रजतरूप से सत् है व शुक्तिरूप से असत् है । इसका मतलब यह हुआ कि शुक्तिदेश में भी रजत असद्रूपेण तो विद्यमान ही है। इसलिए शुक्ति में गृहीत होने वाला रजत, शुक्ति में असद्रूपेण विद्यमान व सद्रूपेण अविद्यमान होने से, उसका ग्रहण सदसत्ख्याति ही मानी जाएगी । ___ जैनों ने भी पररूप से वस्तु का असत्त्व स्वीकार किया है । उसके मत से वस्तु सदसत्-उभयात्मक होती है । स्वरूप से सत्त्व जैसे उसका अंश है, वैसे पररूप से असत्त्व भी उसका ही अंश है । अतः शुक्तिदेश में स्वरूप से सत्त्व की विवक्षा से वह अविद्यमान होने पर भी, पररूप से असत्त्व की विवक्षा से वह विद्यमान ही है । भङ्ग्यन्तर से कहा जाय तो असत् रजत वहाँ शुक्तिरूपेण वर्तमान ही है । अत: उसका ग्रहण सदसत्ख्याति ही समझी जाएगी । . इस तरह से देखे तो विज्ञानभिक्षु, नागेश भट्ट, कुमारिल भट्ट व जैनों की ख्यातिनिरूपणा में वैलक्षण्य होने पर भी, भ्रम के विषयभूत पदार्थ का कथञ्चित् सत् और कथञ्चित् असत् होना चारों ख्यातियों में समान होने से वे एक समान ‘सदसत्ख्याति' के नाम से ख्यातिवाद में व्यवहृत की गई है । अलबत्त विज्ञानभिक्षु के मत से रजत का वहाँ स्वरूप से सत्त्व (-बाधाभाव) और अलीक संसर्ग का भान होने से असत्त्व (-बाध), नागेश भट्ट के मत से बाधाभावकाल में रजत का आरोपित सत्त्व और बाधकाल में (सहज) असत्त्व, भाट्ट मत में शुक्तिनिष्ठ रजताभाव शुक्तिस्वरूप होने से और असत्त्व रजत का ही धर्म होने से, शुक्तिरूप से असत् रजत की विद्यमानता (-सत्त्व) और स्वरूप से सद्भूत रजत की अविद्यमानता (-असत्त्व), जैन मत में परस्वरूप से अभाव और स्वरूप से सद्भाव - दोनों वस्तु के ही धर्म होने से, शुक्तिदेश में पररूप से अभावात्मक रजत की विद्यमानता (-सत्त्व) और स्वरूप से सद्भावात्मक रजत की अविद्यमानता (-असत्त्व) होने से चारों सदसत्ख्यातियों में मूलगामी भेद है । फिर भी उस भेद की उपेक्षा करके वस्तु की सदसदात्मकता को विवेचित करते हुए, चारों ख्यातियाँ समान अभिधान प्राप्त करती हैं ।
SR No.520571
Book TitleAnusandhan 2016 09 SrNo 70
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShilchandrasuri
PublisherKalikal Sarvagya Shri Hemchandracharya Navam Janmashatabdi Smruti Sanskar Shikshannidhi Ahmedabad
Publication Year2016
Total Pages170
LanguageSanskrit, Prakrit
ClassificationMagazine, India_Anusandhan, & India
File Size11 MB
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