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________________ १३८ अनुसन्धान-७० मार्ग खोज निकाला, जो अग्रहण, विवेकाग्रहण, अख्याति, विवेकाख्याति, भेदाग्रह, स्मृतिप्रमोष इत्यादि नामों से व्यवहृत होता है । प्रभाकर का कहना है कि चक्षुरादि इन्द्रिय का संयोग एक के साथ हो और प्रत्यक्ष किसी दूसरी चीज का हो यह सम्भव नहीं । क्यों कि असनिकृष्ट अर्थ को भी यदि प्रत्यक्ष का आलम्बन मान लिया जाय तो अन्ध पुरुष को भी शुक्ति में रजत का प्रतिभास होना चाहिए । कहने का मर्म यह है कि चक्षुष्मान् और अन्ध दोनों को शुक्तिस्थल में रजत का असन्निकर्ष समान रूप से होने पर भी, एक को रजतज्ञान होता है व दूसरे को नहीं होता इस बात से ही यह सिद्ध होता है कि रजतबुद्धि के लिए रजत का विषय होना अनिवार्य है । अर्थात् जिस ज्ञान में जिसका प्रतिभास हो वही उस ज्ञान का विषय हो सकता है, ज्ञान में अप्रतिभासित वस्तु को हम उस ज्ञान का विषय मान ही नहीं सकते । अतः शुक्ति में होनेवाले रजतज्ञान का विषय रजत ही है, शुक्ति नहीं । और इस तरह वह यथार्थ ही होता है, भ्रान्त नहीं । प्रश्न होता है कि यदि सभी ज्ञान यथार्थ ही होते हैं तो फिर शुक्ति में शुक्तिज्ञान अभ्रान्त और रजतज्ञान भ्रान्त क्यों गिना जाता है ? । अथवा शुक्ति में रजत का ज्ञान, जिसे लोक भ्रम गिनते हैं, उसकी उपपत्ति कैसे हो सकती है ? । प्रभाकर का कहना है कि जब कोई पुरुष रजतसदृश शुक्ति को देखता है, तब यदि वह इन्द्रियादि के दोष की वजह से रजत से शक्ति का जो वैलक्षण्य है उसका ग्रहण न करके केवल सादृश्य का ग्रहण करे, तो उसे तादृश प्रत्यक्ष से रजत का स्मरण होता है । वह पुरुष मनोदोषादि के कारण प्रत्यक्ष व स्मरण के बीच जो भेद है उसका और प्रत्यक्ष के विषयभूत शुक्ति और स्मर्यमाण रजत के बीच जो भेद है उसका ग्रहण नहीं कर पाता । वह दोनों ज्ञानों को और उन दो ज्ञानों की विषयभूत वस्तु को एक ही समझ लेता है । फलतः वह शुक्ति को रजत समझता है। लोग इसे भ्रम समझते हैं, पर वस्तुतः वह भ्रम न होकर, दो यथार्थ ज्ञानों के बीच रहे हुए भेद का अग्रह या विवेक(-वैलक्षण्य) की अज्ञप्ति(-अख्याति) ही है।
SR No.520571
Book TitleAnusandhan 2016 09 SrNo 70
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShilchandrasuri
PublisherKalikal Sarvagya Shri Hemchandracharya Navam Janmashatabdi Smruti Sanskar Shikshannidhi Ahmedabad
Publication Year2016
Total Pages170
LanguageSanskrit, Prakrit
ClassificationMagazine, India_Anusandhan, & India
File Size11 MB
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