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________________ मार्च - २०१६ तसु पटि अनुक्रमि खरतर-ईशा, युगवर श्रीजिनचन्द्रसूरीसा । आगम-अरथ-सुजाण मुनीसा, जीवउ इणि जगि कोड वरीसा ॥१४५।। निरमल सीलतणा गुण भावई, सहजरतन्न सुसीस सुणावई । साह गुणराज सुचिंति सुहावई, मरघादे हरखी गुण गावई ॥१४६।। संवत सोलसु छासठि (१६६६) वरसई, आसो सुदि दसमी सुभ दिवसई । श्रीथूलिभद्रतणा गुण गाया, उदयसागर मन-वंछित पाया ॥१४७|| जिहां लगि द्रू-रवि-मंडल राजई, अचल सुमेरु महा-छवि छाजइं । तिहां लगि मुनि-गुण-माणिक-माला, चिर प्रतपउ चंदाणि रसाला ॥१४८|| ॥ इति श्रीथूलिभद्रचंदाइणि संपूर्णा ॥ श्रीरस्तु ॥ श्रीमति द्वीपनगरे सुश्राविका-मिरघादे-अमरादे-अरघादे-डाडिमदे-प्रमुखाणां पठनार्थं लिलिखे सहजरत्नगणिनेति । अर्थ मुख्य 9.. शब्दकोश कडी शब्द अर्थ | कडी शब्द मोडी तोडीने |१२ मूलगउ अटाला अटारी | १२ घरणी चउसाला . चतुःशाल-चोरा | १५ रोलई | १५ धोलइं मछराला मूछाला | १६ चचपट नगर-तलार असराला पुष्कल | १७ सुसरति करालकचाला · बिहामणां चाळां | २१ खींखंतउ करनारां(?) .. | २१ धवारीय १० ओपई शोभे छे पाखलि चारे तरफ | २८ वेधक ११ पायक पगे चालनारो | २८ वेध । सैनिक, पदाति | २९ धिगारव ho गृहिणी लपेडे छे धोळे छे तालध्वनि माटेनो रवानुकारी शब्द सुस्वर हरकत करवी धवरावी, स्तनपान करावी विदग्ध आकर्षण धिक्कार (?)
SR No.520570
Book TitleAnusandhan 2016 05 SrNo 69
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShilchandrasuri
PublisherKalikal Sarvagya Shri Hemchandracharya Navam Janmashatabdi Smruti Sanskar Shikshannidhi Ahmedabad
Publication Year2016
Total Pages198
LanguageSanskrit, Prakrit
ClassificationMagazine, India_Anusandhan, & India
File Size12 MB
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