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अनुसन्धान-६९
॥ ढाल केदार-गउडी रागे ॥
पूरव देस वसई स-रसाला, पाडलीपुर वर, नयर विसाला । सोहई घरि घरि तोरण-माला, धज-दंडा सोवन-कलसाला ॥४॥ परिमल धूप-घटी सुविसाला, मंगल धवल भणइं. सुगुणाला । सोहई धरमतणी सुभ साला, रंग विनोद करई वर बाला ॥५॥ वन वाडी उद्यान अटाला, भोगी भमभमइं भमराला । रूपई मदन-समा रतनाला, मदिरा-पान करई मतवाला ॥६॥ नाटिक रंगि रमई रस-माला, चउरासी चहुटां चउसाला । षट दरसण सेवई मठ-साला, चोरतणा नवि दीसइं चाला ॥७॥ सुभट धरई निय करि करवाला, मिलिया झूझ करइं मछराला । नगर-तलार भमइं रखवाला, नवि दीसई विकटा विकराला ||८|| दीसई सरवर जल सरसाला, गंगा नीर वहई असराला । जलचर जीव करालक-चाला, रंगई केलि करइं मछ-माला ॥९॥ ओपई मंदिर अतिहिं विसाला, पुर पाखलि पोढी गढ-माला । देस-धणी घण रणिहि रोसाला, राजा नंद जिस्या नर-पाला ॥१०॥
॥ दूहा ॥ नंदराय सुखीओ सदा, गुण-मणि-रयण-करंड । हय-गय-रथ-पायक-धणी, पालइ राज अखंड ॥११॥ मंत्रीस्वरमांहिं मूलगउ, महितउ श्रीसिगडाल । लाछलदे लखिमी पवर, घरि घरणी सुकमाल ॥१२॥ तसु कुलि इक सुर अवतरई, सुर-सुख भोगवि सार । घण निरमल पूरव दिसिं, जिम दिनकर अवतार ||१३||
॥ ढाल - २ ॥ सुतनउ जनम हुओ सुखकारी, गुण-मणि-रोहण निय तनु धारी । महितउ राजतणउ अधिगारी, वित खरचई जगि जन-उपगारी ॥१४|| रामा रंगसुं कुंकुम रोलई, मृग-नयणी मुखि मंगल बोलई । सधव वधू सुभ मंदिर धोलई, जोवा लोक मिल्या सहू टोलइं ॥१५॥