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अनुसन्धान-६९
श्रीसकतमुनि तथा सा. श्रीजसोदाजीनां गीत
- सं. उपा. भुवनचन्द्र
श्रीसकतमुनि (शक्तिमुनि) तथा साध्वी जसोदांजीना तपोमय-वैराग्यमय जीवननी अनुमोदनानां बे-त्रण गीत प्रकीर्ण पत्रोमांथी मळ्या छे ते जाणवालायक होवाथी अहीं रजू कर्यां छे. आ बन्ने त्यागीजनो पार्श्वचन्द्रगच्छनी परम्पराना छे. राजचन्द्रसूरिना विद्यमानकालमां ऋषि जयतसी पासे दीक्षित थनार सकतमुनिनी जन्मभूमिर्नु नाम वसुधापुर होवा समजाय छे. पिता जोधासा अने माता जयवंतदे. त्याग-वैराग्य प्रबळ होवाना कारणे जनता पर तेमनो प्रभाव सारो हतो अने एमनी प्रेरणाथी श्रावक-श्राविका वर्गे व्रत-तप आदि घणां करेलां. सकतमुनिए बीकानेरमां अनशन स्वीकारेलुं जे ६२ दिवस चाल्युं हतुं. चोर्यासी गच्छमां तेमनो महिमा थयो हतो. गीतो सं. १६८४मां रचायां छे तेथी सकतमुनिनो स्वर्गवास ए ज वरसे थयो हशे एवी सम्भावना गणाय. गीतना रचयिता ऋ. ठाकुरनी गुरुपरम्परा नीचे मुजब मळे छे : श्रीपार्श्वचन्द्रसूरि-समरचन्द्रसूरि-राजचन्द्रसूरि-जयचन्द्रसूरि-वा. हीरानंदचन्द्रऋ. ठाकुर.
सा. जसोदांजी, जीवन ज्ञान-चारित्र-तपनी आराधनाथी सभर हतुं एम गीत परथी जणाइ आवे छे. आ गीत ऋ. ठाकुरे रच्युं छे ते पण सा. जसोदांजी प्रत्ये केटलो आदर संघमां प्रवर्ततो हशे ते सूचवी जाय छे..
सकतमुनिजी, बीगँ गीत साध्वीजी- रचेलुं छे अने तेमना हस्ते लखेलु मळ्युं छे. आ गीतनी भाषा अने लिपि - बन्ने गरबड़वाळां अने भ्रष्ट छे. ए समयना श्रमणीसंघनी (अर्थात् स्त्रीवर्गनी) शैक्षणिक स्थिति केवी नबळी हती तेनी चाडी आ गीत खाय छे. आ गीत सुधारीने फरीथी अहीं मूक्युं छे.
१. सगतमुनि गीत सहगुरु पाय प्रणमी करी, समरी श्रीजिनराजो रे; गुण गाउं गरुआ तणा, सीझइ वंछित काजो रे. सगत मुनिसर वंदसुं, आणी मन आणंदो रे; भविक कमल प्रतिबोहिया, अभिनव ए गुरु चंदो रे.
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सगत ०२