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________________ मार्च - २०१६ पं. श्रीविवेकसागरणणिरचित-अक्षरार्थप्रकाशिनीवृत्तियुतं श्रीपार्थजिन-यमकबद्धस्तवनम् - सं. मुनि कल्याणकीर्तिविजय राजगृह नगरमां बिराजमान श्रीपार्श्वनाथ भगवाननुं आ संस्कृतभाषामय यमकबद्ध स्तवन छे. कुल ११ श्लोकोथी बनेल आ स्तवनमां प्रथम १० श्लोको पार्श्वनाथ प्रभुनी स्तवना-स्वरूप छे, ज्यारे छेल्लो श्लोक विनन्ति-स्वरूप छे. प्रथम १० श्लोको यमकालङ्कारथी विभूषित छे अने वंशस्थबिल छन्दमां रचायेला छे, ज्यारे अन्तिम श्लोक वसन्ततिलका छन्दबद्ध छे. प्रथमना १० श्लोकोमा 'पार्वं भजे राजगृहे गृहे गृहे' ए ध्रुवपद छे. आम पण शब्दालङ्कार कठिन होय छे, अने तेमां पण यमकालङ्कार अत्यन्त कठिन छे. तेनाथी विभूषित काव्य बनाववामां कविनी पूरेपूरी सज्जता जोइए, जे अहीं पदे पदे अनुभवाय छे. यद्यपि आ स्तवनमा कर्ताए पोताना नामनो क्यांय निर्देश कर्यो नथी तेथी, अने बीजां पण कोई साधनोथी तेमना विशे जाणी शकायुं नथी, तेथी आ स्तवनना कर्ता अज्ञात ज रहे छे; छतां पण ११मा श्लोकमां श्रीसोमसुन्दरगुणा० एवो निर्देश मळतो होवाथी एवं अनुमानी शकाय के आ स्तवनना कर्ता, विक्रमना १४मा-१५मा शतकमां थई गएला प्रभावक जैनाचार्य तपगच्छपति श्रीसोमसुन्दरसूरिजी भगवन्तना शिष्यपरिवारमाथी ज कोई विद्वान् मुनिराज होई शके. आ स्तवनना कठिन भावोने समझवा माटे पं. श्रीविवेकसागरगणिए अक्षरार्थप्रकाशिनी नामक वृत्ति पण रची छे, जे पण साथे ज प्रकाशित छे. आवा स्तवननी वृत्ति रचनार व्यक्ति पण सहजपणे पहोंचेला विद्वान् होय ज. प्राप्त साधनोनी मददथी तो तेमना विशे पण कांई जाणी शकायुं नथी. विद्वज्जनो तेमना विशेनी माहिती पूरी पाडे तेवी अभ्यर्थना. प्रति परिचय : आ प्रति जोधपुर (राजस्थान)स्थित राजस्थान प्राच्यविद्या प्रतिष्ठाननी २११९३/२ क्रमाङ्कित प्रति छ. प्रति त्रिपाठ छे. अक्षरो सुवाच्य छे, अने लेखन पण शुद्ध छे. प्रतिलेखन पं. श्रीआनन्दसौभाग्यगणिए ज्येष्ठ सुदि ५ना गुरुवारे महिषदुर्गमां कर्यु छ एम तेनी पुष्पिका परथी जणाय छे, परन्तु लेखन संवत्नो क्यांय निर्देश नथी. छतां य, लेखन शैली परथी, आ प्रति प्राय: १७मा सैकामां लखाई हशे, एवं अनुमान करी शकाय छे. कुल एक ज पत्रनी त्रिपाठवाळी आ प्रति छे.
SR No.520570
Book TitleAnusandhan 2016 05 SrNo 69
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShilchandrasuri
PublisherKalikal Sarvagya Shri Hemchandracharya Navam Janmashatabdi Smruti Sanskar Shikshannidhi Ahmedabad
Publication Year2016
Total Pages198
LanguageSanskrit, Prakrit
ClassificationMagazine, India_Anusandhan, & India
File Size12 MB
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