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________________ मार्च - २०१६ १२७ * कावी मुकामे पानाभाई अने नाना भाई प्रभुनी रथयात्रानो वरघोडो कर्यो हतो जे दर्शावे छे के पूर्वना काळमां छ'री पालित सङ्ग दरम्यान बधा ज कर्तव्य मात्र सङ्घपति करे तेवू ज न हतुं, परन्तु सङ्घमां जोडायेल अन्य मोभीओने पण भाव जागे तो रथयात्रा आदि कर्तव्यो सङ्घ दरम्यान करता हशे. हालना छरी पालित सङ्घमां ज्यांथी सङ्घ लई जवाय त्यांथी जे तीर्थमां जइओ त्यारे सङ्घनी पूर्णाहूति थई जाय छे. आ स्तवन वातनी साक्षी पूरे छे के भरुच तीर्थथी नीकळी सङ्घ ज्यारे पाछो भरुच आव्यो त्यारे सङ्घनी पूर्णाहूति थई अर्थात् ज्यांथी नीकळ्यो त्यारबाद तीर्थोने जुहारीने सङ्घ पाछो पूर्वना मुकामे पाछो आवे त्यारे सङ्घ पूरो थतो. वळी भरुच मुकामे पाछा आव्या बाद पण सङ्घपतिनो उल्लास हजु अटकतो . नथी. सङ्घ मुकामे पाछो आव्या बाद सङ्घमां जे जोडाया हतां ते सहुनी साथे ज़े सङ्घमां जोडाई शक्या न हतां, तेवा तेमनी आखी नातना श्रावकश्राविकाओने जमाडीने सङ्घ पर कलश चढाव्यानुं कार्य कयुं हतुं. वळी, खांड = साकरनी प्रभावना पण करी अने भरुच तीर्थमां रहेल आदीश्वर प्रभुनी भक्ति पण ओ दिवसे सविशेष करेल. * सङ्घ पूर्ण थयाना दिवसे 'वेजलपुर' गाम अजुआलीओ रे आल - ओ कडी द्वारा अम जाणी शकाय छे के वेजलपुर गाममां पण दीवा आदि करेल हशे. * सङ्घ कावीथी अकोटा गयो अवो उल्लेख स्तवनमां मळे छे. 'अकोटे सीरे रे डेरा कीया रे लाल, सांज सर्वे मिली शाथ' पण कावी नजीक अकोटा गाम हाल विद्यमान नथी पण ते समये होवू जोइओ. सङ्घ-स्तवन श्री गुरुचरण नमी करी समरूं सरसती मात, भाव द्रव्य मु(पु)जा तणी कहेस्यूं अथोचित वात.... (१) जंबुद्वीपना भरतमां देस लाडसुं ठाम, कालिकानिम तिहा वली अतीउत्तम अभीराम... (२)
SR No.520570
Book TitleAnusandhan 2016 05 SrNo 69
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShilchandrasuri
PublisherKalikal Sarvagya Shri Hemchandracharya Navam Janmashatabdi Smruti Sanskar Shikshannidhi Ahmedabad
Publication Year2016
Total Pages198
LanguageSanskrit, Prakrit
ClassificationMagazine, India_Anusandhan, & India
File Size12 MB
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