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मार्च - २०१६
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___ आठमना दिवसे सङ्घ जम्बुसर पहोंच्यो. त्यां जम्बुसरमां प्रभुनी पूजा आदि करी ने सङ्ग फरी पाछो कर्मांड नगरमां आव्यो. अहीं कर्मांड गाममां मोतीलालजी श्रावके शीरो-पूरी करीने सङ्घजमणनो लाभ लीधो.
मागसर सुद-९ना दिवसे सङ्घ पाछो भरुच बन्दरे आव्यो, ज्यां आदीश्वर प्रभुना देरासरे सर्व सङ्के आवी वांजित्रो साथे भावपूजा करी. केसर आदिनी अंगरचना करावी अने प्रभुनी पूजा पण करी. सङ्घवीश्री धर्मचन्दजीओ लाडवा आदिनुं जमण करी आखी नातने ते दिवसे जमाडी अने प्रभावनामां खांड (साकर)नी लाहणी करी..
भरुचनी बाजुमां वेजलपुर गाम छे त्यां पण तेमणे शासनप्रभावना करी घणा दीवाओ कर्या. तिहासिक अने साहित्यिक दृष्टिले सङ्घस्तवन- मूल्यांकन :
प्रस्तुत सङ्घस्तवन के संवत् १८७४ अर्थात् आशरे २०० वर्ष पहेलां श्रीभाणविजयजीना शिष्य श्रीनेमविजयजी म.सा. ओ रचेल आ स्तवननी भाषा घणी ज सरळ छे, पण क्यांक क्यांक गरिमा युक्त शब्दोनो प्रयोग पण थयेल छे. * श्रीनेमविजयजी म.सा. ओ आ स्तवननी रचना पण सं. १८७४ द्वि ९ ने
बुधवारे अर्थात् सङ्घनी पूर्णाहूतिना द्वितीय दिवसे ज करी होवाथी सङ्घनो अहेवाल आंखो देखेल जणाय छे. आखीय प्रत दूहा ढाल अने कलस थी रचायेल छे. जेमां शरुआतमां कया गामथी सङ्घ नीकळ्यो, कोण कोण सङ्घमां जोडायुं आदि वर्णन धरावती २७ गाथाओ मुकेल छे. त्यार पछी दूहो मूकी अने भरुच बन्दरथी सङ्क
नीकळ्यो तेनुं वर्णन १ली ढाळमां करेल छे जेमा २६ गाथाओ छे. * कावी नगरे पहोंच्या ते पछीनू वर्णन ३० गाथा वडे - रजी ढाळमां
करवामां आवेल छे. * अने त्यार पछी कलस द्वारा कृतिनी पूर्णाहूति करवामां आवेल छे. * श्रीनेमविजयजी कृत प्रस्तुत सङ्घस्तवन द्वारा आपणने घणी माहितीनी प्राप्ति
थाय छे. जेम के भरुच बन्दरे रहेनारा २०० वर्ष पूर्वेना घणा श्रेष्ठीओना