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________________ १२० अनुसन्धान-६९ - श्रीनेमविजयजीकृत भरुच-कावी-गंधारना 'छरी पोलित सङ्घ स्तवन .. - सं. डो, शीतल मनीष शाह भरुच तीर्थ तिहासिक दृष्टिले घणुं ज अगत्यनुं छे. भरुच तीर्थथी कावी-गंधारमा छ'री पालन पूर्वक श्रीनेमविजयजी म.नी निश्रामां अक सङ्घ नीकळेल, जे भरुच तीर्थना ते वखते मोभी श्री धर्मचन्द शेठे काढेल, जेना विषे श्री नेमविजयजी म.सा. ओ ओक स्तवननी रचना करेल, जेमां समग्र सङ्घनु आबेहूब वर्णन करेल छे. अहीं ते सङ्घनुं वर्णन जोई\. प्रत-परिचय : आ प्रत ३ पानामां लखायेल छे, जेमा १ पत्र उपर २० लीटीओ छे अने दरेक लाईनमा ४३ थी ४६ अक्षरो छे. आ प्रत विजयधर्मलक्ष्मी ज्ञानभण्डारमाथी प्राप्त थयेल छे, जे हाल कोबा पुस्तकालयमां नं. ३०८७२ पर उपलब्ध छे. आ पत्र १९मी शताब्दीनी अनुमानित कराई छे. कर्तानो परिचय : प्रस्तुत कृतिना कर्ता श्रीभाणविजयजीना शिष्य श्रीनेमविजयजी म. छे. आ सिवाय अन्य कोई माहिती प्रतमाथी उपलब्ध नथी. कृतिना आधारे सङ्घनुं वर्णन : कारतक वद - ७मे आ सङ्के भरुच तीर्थथी प्रयाण कर्यु अने गन्धारकावी-जम्बुसर आदि तीर्थोने जुहारीने मागशर सुद-९ना दिवसे सङ्घ भरुच पाछो आव्यो. आ दिवसोमां सङ्गपतिओओ शासनप्रभावना माटेनां अनेक कार्यो कर्यां ओ सर्वनुं वर्णन आ प्रतमां आपेल छे. गुरुचरणने नमस्कार करी अने पछी सरस्वती माताने याद करीने आ यादगार सङ्घनुं वर्णन सुन्दर रीते करेल छे. सङ्घपतिने सङ्घ काढवानो उल्लास कई रीते जाग्यो अने पछी ओ सङ्घमां कोण-कोण जोडाया, त्यारबाद सङ्घ
SR No.520570
Book TitleAnusandhan 2016 05 SrNo 69
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShilchandrasuri
PublisherKalikal Sarvagya Shri Hemchandracharya Navam Janmashatabdi Smruti Sanskar Shikshannidhi Ahmedabad
Publication Year2016
Total Pages198
LanguageSanskrit, Prakrit
ClassificationMagazine, India_Anusandhan, & India
File Size12 MB
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