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अनुसन्धान-६८
वस्तु कणइगिरिवरि कणइगिरिवरि, सहस जिणगेह एकु लक्ख वीसइ सहस, नमवि बिम्ब भवभइ निकंदउ महानदी जिणहर सत्तरि, आठ सहस सइ चारि वंदउं [उ]द[धि]हिं असी प्रासाद, नव सहस छ सइ जिणबिम्ब, नमिअ सुरासुरकिन्नरिहिं, मनि समरउं अविलंब ॥११॥
भास कुंडि भवण सुणिं त्रिनि सइ, असी सहिय नितु वंदि तिहिं पचताली सहस छ [स]इं, जिण थुणि नव नव छंदि ॥१२॥ वृत्तवैताढिहिं वीस, गृहपडिमा सइ चउवीस, यमक महीधरि तेतला, जिण पणमउं निसिदीस ॥१३॥ तिरयलोइ बत्तीस, सइ इगुणसट्ठि जिणगेह लक्ख त्रिक इकाणू सहस, त्रिहुं वीसोत्तरणे(से) छेह ॥१४॥ वंदउं विंतर-जोतिषीमाहे बिम्ब असंख हिव पायालि पयासियइ, भुवण-पडिमनी संख ॥१५॥ असुरकुमारिहिं जाणियइ, भवणहं चउसठि लाख, पनर कोडि इक कोडिसउ, वीस लाख जिन भाख ॥१५॥(१६) लाख चउरासी जिणभवण, नागकुमारि वखाणि । कोडि इकावन कोडिसउ, वीस लाख ज(जि)ण जाणि ॥१६॥(१७) लाख बहूतरि जिणहरह, सुवनकुमारि वखाणि कोडि गुणतीसइ कोडिसउ, साठि लाख सुविचारि ॥१७॥(१८) विद्य अग्नि दीवह उदहि, तह द(दि)स थणियकुमार छहतरि छहतरि लाख तिहिं, जिणहर मनि अवधारि ॥१८॥(१९) ठाणि इकेकिई कोडिसउ, पडिमा कोडि छतीस लाख असी अहनिसि नमुं, पूरउं मनहं जगीस ॥१९॥(२०) पवनकुमारिहिं भवणवर, छिन्नूं लाख वियाणि कोडि बहत्तरि कोडिसउ, लाख असी परमाण ॥२०॥(२१)