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________________ डिसेम्बर पंच भरत इरवत पंच पंच महाविदेहिं सत्तरिसउ उक्किट्ठ कालि जिण नमउं सनेहिं ॥९॥ केवलिया नवकोडि नमउं नवकोडि सहस्स पण साधु मुणंति जेह सिद्धंत - रि (र) हस्स रिसह चंदाणण वारिषेण ब्रधमानं सुनामिहिं सासय पडिमा पणमिय ए भवियण सिरिगामिहिं ॥ १० ॥ - २०१५ भास नंदिसरि प्रासाद, बावन दीपहिं आठमए (?) पणमउं छंडि विषाद, चउसठिसइ अठताल जिण [ ॥१॥] कुंडलि चेई चारि, छिन्नू अधिका च्यारिसइं जिणहबिम्ब अवधारि, रूचकदीवि पूणि जेतला ए ॥२॥ राजधानी जगदीस-मंदिर सोलह मई कह्या ए बिम्बा सइ इगुणीस, वंदउं वीसां आगला ए ॥ ३ ॥ जिणहर असिय वखाणि, काननि मेर-संबंधिय ए जिणपडिमा तिहिं जाणि, छए सएसुं नव सहस ||४|| पंच भवण झलकंति, चूलां बिम्ब छसइ नमउं ए वींसति सा गइदंति, बिम्ब बि सहस चारि ॥५॥ दीपइं दस प्रासाद, देवकुरिहिं उत्तर कुरिहिं मेल्ही मन उनमाद, पणमउ बिम्बहं बारस ||६|| चारि भुवण इखुकारि, असी सहस अरु चारि स एह ज संख विचारि, मानषउत्तर परवतिहिं ॥७॥ असिय सु वष्कसकारि, छसइ नइ जिण नव सहस कुलगिरि तीस विचारि, पणमउ बिम्ब छतीस स ॥८॥ चालीस दिग्गज दाढ, सइ अठतालीस जिण नमउं ए सत्तरि सउ वैतादि, वीस सहस जिण चारिस ||९|| जंबूपमुहदसेहिं, सत्तरि गृह इग्यार सइ लक्ख एक सहसेहिं चालीसइ चहुं सइ सहिय ॥१०॥ १५
SR No.520569
Book TitleAnusandhan 2015 12 SrNo 68
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShilchandrasuri
PublisherKalikal Sarvagya Shri Hemchandracharya Navam Janmashatabdi Smruti Sanskar Shikshannidhi Ahmedabad
Publication Year2015
Total Pages147
LanguageSanskrit, Prakrit
ClassificationMagazine, India_Anusandhan, & India
File Size1 MB
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