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अनुसन्धान-६८
सुर्भ (ग)ति सु सिर्वगति _ _अस्ताघे (अस्तांगति) जिन नमिय नेमीसर अनिल यसो धर अन कृतार्थजिण जाणि जिणेसर सुधमति शिवकर शंदनेस (शुभदीन) संप्रति चउवीसम भणिसु अणागइ जिणवरिंद हिव निज्जिय दूसम ॥३॥ पउर्मनाह सिरि सूरदेव सुपार्श्व स्वयंप्रभ पणमउ सिरि सर्वानुभूति देवस्रुत जगि दुल्लभ उदय पेढाल सुपोट्टिलेस सितकीर्ति सुव्रत अमम नमिजइ निष्कषाय निःपुलाक दृढवृत ॥४॥ निर्मम नमियई चित्रगुप्ति समाधि ससंक(व)र जाणि यसोधर विजय मल्लजिण देव दयापर अनंतवीरज भद्रक जिणंद ए नमउ चउवीसइ हिव पणमउ जिण वर्तमान जिम सिवपहु दीसइ ॥५॥ रिसह अर्जिय संभव जिणंद अभिनंदण सांमी सुमति पउमपह सिरिसुपास नमियइ सिर नामि चंदप्रभ जिण सुविधिं नाह सीतल श्रेयांस वासपूज्य सिरिविमल नाह अनंत जिनेश ॥६॥ धर्म संति अरु कुंथु नाह अरु मल्लि थुणीजइ मुनिसुव्रत नमि नेमि पास सिरिवीर नमीजइ पंच विदेहिं विहरमाण जिण वीसइ वंदउं सीमंधर युगमंधेरिंद भव पाप निकंदउं ।।७।। बाहु सुबाहु जिणंदचंद सं(सु)जाय सयंपह ऋषभानन अनंतविरिय सविसाल सूरप्पह वजधर चंद्राननु जिणंद चंदाहु भुजंग नेमिप्पह इसर थुणेवि वीरसेन सुचंग ।८।। देवकीरति महाभद्र अजितवीरजी ए वीस बि कोडिं केवली कोडि सहस दुइ नमउं मुणीस