SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 7
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ १० अनुसन्धान-६७ जून - २०१५ आ मार्गना जे बिन्दुओ अंक सूर्य होय तेनी बराबर सामा बिन्दओ बीजो सूर्य होय छे. अमावस्याना दिने सूर्य-चन्द्र साथे (अक बिन्दुओ) होय छे. बनेनं ते बिन्दुथी साथे प्रस्थान थाय तो चन्द्र करतां सूर्य दरेक मुहूर्ते ६२ भाग आगळ सरकतां सरकतां २९ दिवसे बराबर अर्धपरिक्रमामार्ग = ५४९०० क्षेत्रभाग जेटलो आगळ नीकळी जाय छे. आ समये तेनी सामेनो सूर्य पेला पाछळ पडी गयेला चन्द्र साथे भेगो थाय छे. अने बीजी अमावस्या सर्जाय छे. आ ज गतिले आगळ वधतां पेलो पहेलो सूर्य बीजा २९ दिवस जतां बीजो अर्धपरिक्रमामार्ग आगळ निकळीने त्रीजी अमावस्याओ पुन: चन्द्र साथे भेगो थाय छे. सूर्यनी एक दिवसनी गति ५४९०० क्षेत्रभाग जेटली छे, ज्यारे चन्द्रनी ५३०४०. तेथी सूर्यनी ५४९०० x २ = १०९८०० क्षेत्रभागनी २९ परिक्रमा थाय, त्यारे चन्द्रनी २८ परिक्रमा ज पूरी थाय छे, अने चन्द्रसूर्य भेगा थाय छे. आ समयगाळो लगभग बे महिना जेटलो छे. तेथी सूर्यनी १ वर्षमा १७७ करतां अधिक प्रदक्षिणा थाय छे, ज्यारे चन्द्रनी १७१. अवमरात्र (क्षयतिथि): ओक तिथि- काळप्रमाण दिवस जेटलुं छे. तेथी दररोज ओक आखी तिथि अने बीजी तिथिनो अक भाग - आटलुं पसार थाय छे. आ प्रमाणे गणतरी करतां ६१ मा दिवसे ६२मी तिथि समग्रपणे अन्तर्भाव पामतां ते 'क्षयतिथि' गणाय छे. आ क्षयतिथि दर ६२मा दिवसे आवे छे. तेथी ३६६ दिवस प्रमाण रविवर्षमा कुल ६ क्षयतिथि थाय छे. आ क्षयतिथि आषाढ, भादरवो, कारतक, पोष, फागण अने वैशाख महिनाना वद पखवाडियामां आवे छे. कालवियारसयं नमिअ जिअकालकीलं, कालसमुष्पन्नघणगहिरघोस । वीरं जएक्कवीरं, कालविआरं पवक्खामि ॥१॥ कालो अद्धारूवो, माणुसलोगम्मि सो मुणेअव्वो । सूरकिरिआभिवंगो, समयावलियाइभेउ त्ति ॥२॥ तत्थ किल पंच मासा, हवंति नक्खत्तमाईआ । तेसिं पत्तेअमिणं, कमेण माणं निसामेह ॥३॥ सत्तावीसं च दिणा, तिसत्त सत्तविभाग नक्खत्ते । चन्दो अउणतीसं, बिसट्ठिभागो य बत्तीसं ॥४॥ उउमासो तीसदिणा, आइच्चो तीस होइ अद्धं च । अभिवड्डिअमासो पुण, चउवीससएण छेएण ॥५॥ भागाणिगवीससयं, तीसा एगाहिआ दिणाणं च । जह एए निष्फत्ति, लहंति तह भन्नइ इयाणि ॥६॥ नक्खत्तऽट्ठावीसा, अस्सणिभरणाइआ जणपसिद्धा। ताण ससिभोगकालो, हवइ स नक्खत्तमासो त्ति ॥७॥ इह पनरस समखित्ता, नक्खत्ता ते इमे वियाणाहि । अस्सिणि१ कित्तिअ२ मिगसिर३, पुस्स४ महा५ फुग्गणी६ हत्था७ ॥८॥ चित्ता ८ ऽणुराह ९ मूला १०, आसाढा ११ सावणो १२ धणिट्ठा १३ य। भद्दवया १४ तह रेवई १५ - मे पुण छच्चेवऽवड्डखित्ताओ ॥९॥ सयभिसया १ भरणीओ २, रुद्दा ३ अस्सेस ४ साइ ५ जिट्ठा ६ य । एवं दिवडखित्ता, छच्चेए उत्तरा तिन्नि ३ ॥१०॥ पुणवसु ४ सगड ५ विसाहा ६, अभिजी पुण एसि अन्नहा होइ । तिन्ह वि नक्खत्तगणा-णऽवेक्खेउं खित्तभागं ति ॥११॥ तहाहि - छच्चेव सया तीसा ६३०, भागाणं अभिजे खित्तविक्खंभो । पंचोत्तरं सहस्सं, अवड्डखित्ताण पत्तेअं १००५ ॥१२॥
SR No.520568
Book TitleAnusandhan 2015 08 SrNo 67
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShilchandrasuri
PublisherKalikal Sarvagya Shri Hemchandracharya Navam Janmashatabdi Smruti Sanskar Shikshannidhi Ahmedabad
Publication Year2015
Total Pages86
LanguageSanskrit, Prakrit
ClassificationMagazine, India_Anusandhan, & India
File Size1 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy