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जून - २०१५
अनुसन्धान-६७
धाया लोक न लागी वार, आव्यो ततखिण नगरतलार', वाज्या काहली वाज्या तूर, मिलिया लोक विगोवा पूर... ८१ घर वीट्यो आवी तिह तणुं, मारि मारि मुख बोलइ घj, तं निसुणी विद्याधर इम भणइ, घाउ म देज्यो सिर अह तणई... ८२ मंई प्रीछ्यो छइ सयल सरूप, नही चोर अह मोटो भूप, ओ नर साहसवंत सुजाण, ओ निरमल जाणे जगि भाण... ८३ नारिचरित्र निहचइ सही, मई जोवू सब बनाइ रही, सास्त्रमाहि जे वात ज कही, ते तो काई खोटी नही... ८४
अंबर रविथरय त्रिचरिय, कोय न जाणइ भेय, साहसीक नर ते भलुं, सील न चूकइ जेह... ८५ पाय प्रणमी कुमरह तणों, बोलइ बे कर जोडि, सो न इसा मन लागही, सा पुरिस न लागइ खोडि... ८६
॥ चउपई ॥ तिण गिर राजा अति बलवंत, नामसु विद्याधर श्रीवंत, तेणई मोकलीया जण आपणा, तेडाव्या ते बिन्हें जणा... ८७ विद्याधर गजसिंघ कुमार, आवी रायनई कीध जुहार,
आसण बइसण दीधां मान, आदर सहित दिवार्या पान... ८८ क्रम उदय ओ आव्युं सही, वात कहिवा तउ जुगती नही, देखी रूप लावन तेह तणो, श्रीधर राजा हरख्यो घM... ८९ नेहभर थयुं वलतुं ओम भणइ, पुत्री दोइ अछइ अम्ह तणई, ते तुम्ह परणों करीय पसाय, असूं वचन कहइ श्रीधर राय... ९० कुमर भणइ सांभलो नरेस, नाम ठाम नवि जाणो नवेस, कुल सरूप अजाण्या पखइ, परणइ परणावइ ते झखइ... ९१ राय भणइ तूं अति सुजाण, आभइ छायो किम रहइ भाण, रूप लखण गुण त(ते)जइ करी, मई जाणी सव ताहरी चरी... ९२
भलो लग्न गोधूम कंसार, नरनारी मन हरख अपार, राजलोक मन हरख्यो बहू, घरि घरि उछव करई बहू... ९३
|| ढाल - विवाहलानी ॥ दोय कन्या सिणगारीयो ओ, विवाह उछव कारीयो ओ, गीत धवल गाओ अति घणा अ, तिहां ठाट मिला सजन तणा ओ... ९४ नारीओ रूपिं रूवडी ओ, करि खलकइ कंचन चूडली अ, संवर मण्डप रूवुडो ओ, वरवारुय बेसइ लहुयडो ओ... ९५ लग्न समि जब आवीयो ओ, विप्र समय वरतावीयो ओ, हथलेवो मेली करी ओ, गजसिंघ नारी दोय वरी ओ... ९६ मनरंगि सहु इम भणइ ओ, सुख संपत्ति होज्यो इह तणइ ओ, पूरव भव तप बहु करया अ, कइ न्याय निहचल मन धरी अ... ९७ भाव करी जिन पूजीया ओ, मनसुध जिन धरम कहीयो ओ, जीवदया पाली खरी ओ, जिनवाणीय निहचल मन धरी ओ... ९८ वर लाधो सुनम(?) करीए, कवि नेम कहई आणंद धरी ओ...९९ (?)
॥ वस्तु ॥ मनहरंगि मनहरंगि हूवो विवाह, सयल जन संतोषीया, नयर लोक सहु इम बोलइ, कन्या वर लाधो भलुं, नहीय रूप कोय अह तोलइ, पूरव भव पुन्य करी, पाम्या सुख संसार, बेहु खण्ड पूरा हूवा, ते परणी तिण नारि... ९९ च्यारि खण्ड बुधि बहु कही, ओतलइ दो खंड पूरा थइ, संघ तणी जउ अनुमति लहइ, कथा खिणंतर तउ कवि कहइ... १००
॥ इति श्रीगजसिंघचरित्र द्वितीयखण्ड सम्पूर्ण ॥
(क्रमशः)
A15, अमीझरा एपा. शान्तिवन, पालडी, अहमदाबाद
१. नगररक्षक, कोटवाल २. विस्तार