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________________ अनुसन्धान-६६ 29. ध्रमसाला = धर्मशाळा 30. सुभिख्य = सुकाळ 31. गुहिर = ऊंडु 32. क्रियाणां = करियाणा 33. छाहीया = छवाया 34. पिक कीर = कोयल पोपट 35. वरीसणा = वरसवं 36. कइरडइ = केरना झाडमां 37. स = तरस 38. किसरेसि = केवी रीते 39. पउधारु = पधारो 40. विलगुअछु = वळगु छु 41. भायणूं = भाजन 42. तु = तो 43. गहिलडा = घेलो 44. लूग = लू . (2) ____ॐ नमः || राग - आसाउरि सींधुओ // दूहा : विवेक कहि सुर-नर बहु, पदपंकज प्रणमंति, पाटि पटोधर थापिवा, श्रीगुरु ध्यान धरंति. 1 मोरइ अंगणि थुलभद्र आव्या रे बहनी ए ढाल // स्वस्तिश्री गुज्जर धर-धरणी, जिहां विचरइ गुरु,गुणवंत, युगहप्रधान विजयसेनसूरी, दिन दिन महिमावंत. 2 जेसंगजी आवो आणइ देसि, अह्म वाहालु तुम उपदेस के गुरुजी, इम भगति लेख लखेस जेसंगजी, अवधारो मुझ संदेस के गुरुजी. 3 . आवो आणइ देसि [आंचली] नयर अनोपम लाडोलि कहीइ, जीहां गुरु बइठा ध्यानि, उपवास आंबिल नीवी तपइ.सूरी, मंत्र साधइ प्रधान. 4 जेसंगजी..... देशमांहि अभयदान देवारि, जाप जपइ भगवंत, कृष्णागर तिहां धूप उखेवइ, आराधइ सूरिमंत. 5 जेसंगजी..... गुणे आको सुर ती[हां] आव्यो, वाणी बोलइ जख्यराज, जे काजि तुझे मुझनई समर्यो, ते होयो वंछित-काज. 6 जेसंगजी..... विबुध विद्याविजय गुणवंत, तेहनई निज पद आपि, दिन दिन अधिक उदय छइ एहनु, संघहितनइं सुरतरु थापि. 7 जेसंगजी.... परतकि' रूप देखाडी प्रणमी, सुर पुहतो निज ठामि, सूरीस्वर तेणे वचने हरख्या, करइ जिनसासन काम. 8 जेसंगजी.....
SR No.520567
Book TitleAnusandhan 2015 03 SrNo 66
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShilchandrasuri
PublisherKalikal Sarvagya Shri Hemchandracharya Navam Janmashatabdi Smruti Sanskar Shikshannidhi Ahmedabad
Publication Year2015
Total Pages182
LanguageSanskrit, Prakrit
ClassificationMagazine, India_Anusandhan, & India
File Size12 MB
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