________________ 74 अनुसन्धान-६६ सीलसनाह अंगई धरई, वलि मोहरायबल जीपइजी, दीपइजी, तपतेजइ जिम दिनकरुजी. 8 जाणी योग्य गुरु हीरजी, जेणिं परम पटोधर कीधजी, दीधजी, निज संपद संघली भलीजी, . श्रीविजयसेनसूरिराजीओ, जस सेना अति बलवंतीजी, ___ कलवंतीजी, कीरति चिहुं खंडि विस्तरीजी. 9 आणा सहुको सिर धरइ, कोइ वादी वाद न मंडइजी, छंडइजी, सीह थकी जिम गजततीजी, जेसंगजी अभिनवु हीरलु, भलु परिख्यु अकबरभूपजी, सुरूपजी, रिदयकोसमां राखीइजी. 10 इम सकल गुणे करी सोभतु, जस महिमा अति अभिरामजी, नामजी, जपइ निरंतर भविअणोजी, . श्रीविजयसेनसूरीसरू, सवे सुंदर परीकर सही तजी, ___ महीतजी, सुर-नर-विद्याधरपतीजी. 11 अधिक हरख मनमां धरी, वली करी मनि अति उल्लासजी, दासजी, चरणरेणु समाणडुजी, द्वादसव्रत वंदन करी, बहू हीअडइ आणंद पूरीजी, सूरीजी, कर जोडी विनति करुंजी. 13 यतः इहां खेम-कुशल अछइ, सुर्चिगुरुचरणप्रसादइंजी, आल्हादइंजी, धर्मकार्य सवि हुइ भलांजी, तुम तनु खेम-कुशल तणा, उर धर्मध्यान सुविशेषजी, लेखजी, दीजइ निज सेवक भणीजी. 14 ढाल - बीजी // राग-रामगिरी // दूहा : जेसंगजी गुण ऊजला, गंगाजलधी जोइ, जय जंपइ मनिं चींतीइ, काया निरमल होइ. 1 जेसिंगजी गुणवेलडी, मनि चींतित फल दिति, जय कहि मुझ मन-मंडपइ, मोद करइ प्रसरंति. 2