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अनुसन्धान-६६
साहित्यक्षेत्रे तेओ 'मानाङ्क' नामथी ओळखाय छे. 'मेघाभ्युदय' नामनुं यमकमय खण्डकाव्य पण तेमनी ज रचना गणाय छे. गीतगोविन्दकाव्य पर तेओओ टिप्पण पण लख्युं छे. (Jayadeva's Gitagovinda with king Mananka's commentary प्र. ला. द. विद्यामन्दिर, १९६५). मालतीमाधव पर तेमणे टीका रची होवानुं पण मनाय छे. ई.स. नी १२मीथी ९४मी सदी वच्चे तेमनो सत्ताकाळ गणाय छे. पण टीकाकार शान्तिसूरिनो सत्तासमय ई.स. नी ११मी सदी ध्यानमां लेतां मानाङ्कनो सत्तासमय ते पूर्वे होवो जोई.
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वृन्दावनकाव्य पर अन्य टिप्पणो लखायां हशे अने प्रसिद्ध पण थयां हो, ते विशे झाझो ख्याल नथी. पण जैनमुनिओओ रचेलां त्रण विवरणो विशे जै. सं. सा. इ. - प्रकरण ३५मां उल्लेख छे. १. पूर्णतल्लगच्छीय वर्धमानसूरिशिष्य शान्तिसूरि विरचित २. वृद्धगच्छना रत्नप्रभसूरिना शिष्य लक्ष्मीनिवासे वि.सं. १४९६मां रचेली मुग्धावबोध टीका ३. जिनरत्नकोश - विभाग १, पृ. ३६५मां उल्लिखित रामर्षिनी वृत्ति. आ त्रणे टीका अद्यावधि अप्रकाशित होवानुं जाणवामां छे. तेमांथी श्रीशान्तिसूरिविरचित टीका अत्रे प्रकाशित थई रही छे.
प्रखर नैयायिक, दार्शनिक अने न्यायावतारवार्तिकवृत्तिना कर्ता तेमज महाकवि धनपालनी तिलकमञ्जरी पर टिप्पण लखनारा शान्तिसूरि ज आ काव्य पर टीका रचनार शान्तिसूरि छे. तेमणे वृन्दावनकाव्यनी वृत्तिना प्रारम्भमां ज मन्दबुद्धि जीवोना बोध माटे वृन्दावन वगेरे पांच यमकमय दुर्गम काव्यो पर टीका रचवानी प्रतिज्ञा करी छे. आ पांच काव्योनां नाम त्यां जणावायां नथी. पं. लालचन्द्र भगवानदास गान्धीए ‘जेसलमेरभाण्डागारीयग्रन्थानां सूची' मां आ काव्योनां नाम वृन्दावन, घटखर्पर, मेघाभ्युदय, शिवभद्र अने चन्द्रदूत जणाव्यां छे. ज्यारे प्रो. हीरालाल कापडियाओ जै.सं.सा.इ.मां चन्द्रदूतनी जग्याए राक्षसकाव्य गणाव्युं छे. वास्तवमां शान्तिसूरिजी महाराजने वृन्दावनादि ५मां 'चन्द्रदूत' अभिप्रेत हशे के 'राक्षस' ते आपणे नथी जाणता. पण तेमणे उपरोक्त छञे खण्डकाव्यो पर टीका रची छे ते हकीकत छे. जै.सं.सा.इ.मां जम्बूनाग कविना २३ श्लोकप्रमाण 'चन्द्रदूत' नामना यमकमय खण्डकाव्यनो परिचय नथी अपायो, तेथी त्यां ५ ज काव्योनो उल्लेख मळे छे.
आ शान्तिसूरि न्यायावतारवार्त्तिककार शान्तिसूरिथी अभिन्न छे अने तेमनो सत्तासमय वि.सं. १०५०-११७५ वच्चे छे से वात पं. श्रीदलसुख मालवणियाओ न्यायावतारवार्तिकवृत्तिनी प्रस्तावनामां (प्र. सरस्वती पुस्तक भण्डार, अमदावाद, २००२) प्रमाणभूत रीते साबित करी आपी छे.