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________________ १३८ .. अनुसन्धान-६६ छे." आनो अर्थ ओ छे के घडो ज्यारे 'क्रियमाण' होय छे, त्यारे 'कृत' नथी होतो. केमके जे बनी रह्यं छे ते 'बनी गयेवं' केवी रीते कहेवाय ? . वळी, 'क्रियमाण'थी वर्तमानकाळ सूचवाय छे, ज्यारे 'कृत' अतीतकाळनुं सूचक छे, तो बे भिन्न काळने अक केवी रीते गणाय ? घडो बनाववानी प्रक्रिया पूरी थाय त्यारे ज घडो जन्मे छे. माटे क्रियाकाळ ओ क्रियाकाळ छे अने निष्ठाकाळ ओ निष्ठाकाळ छे, बन्ने अक न गणी शकाय. तेथी 'क्रियमाण' वस्तु ‘क्रियमाण' ज रहे छे, 'कृत' नथी बनती अने 'कृत' 'क्रियमाण'' होय ते पण सम्भवित नथी. . ढूंकमां, आ मते 'कज्जमाणे कडे' मे सिद्धान्तनी संगति शक्य नथी. हमणां अक ठेकाणे आ अंगे एक पूज्य महानुभाव द्वारा थोडीक जुदी रजूआत थयेली जोवा मळी. आ रजूआत अनुसार 'कज्जमाणे कडे' आ वचन निश्चयनय अने व्यवहारनय बन्नेने सम्मत छे. तफावत अटलो छे के अक क्षणनी क्रियानी वात होय त्यारे आ निश्चयनयने सम्मत वचन छे, अने ज्यारे दीर्घकालिक क्रियानी वात होय त्यारे व्यवहारनयने सम्मत वचन छे.. आ माटेनी त्यां करवामां आवेली मुख्य दलीलो नीचे मुजब छे : १. संथारो पाथरवो ओ ओक दीर्घकालीन प्रक्रिया छे. जमालिओ "संथारो पथराई गयो ?" अम पूछ्युं त्यारे संथारो पूरेपूरो पथरायो नहोतो ज, पाथरवान चालु हतुं. माटे शिष्ये ते वखते आपेलो "पथराई गयो" अवो जवाब कया नयने सम्मत गणवो ? आ जवाब निश्चयनयने तो सम्मत नथी ज, केमके निश्चयनये तो संथारो चरमसमये ज पथराय छे, ते पूर्वे नहीं. अने जमालिओ पूछ्युं त्यारे चरम समय तो नहोतो ज. माटे व्यवहारनयथी ज आ वाक्यने संगत गणी शकाय.. तेथी चरम समयना अभिप्राये जो पथराता संथाराने ‘पथरायेलो' अम बोलो तो निश्चयनयनी संमति जाणवी अने ते पूर्वेना समयोमां व्यवहारनयनी संमतिथी आवा प्रयोगो थाय छे. २. साडीनो ओक भाग बळतो होय तो पण 'साडी बळी मई' आq कथन,
SR No.520567
Book TitleAnusandhan 2015 03 SrNo 66
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShilchandrasuri
PublisherKalikal Sarvagya Shri Hemchandracharya Navam Janmashatabdi Smruti Sanskar Shikshannidhi Ahmedabad
Publication Year2015
Total Pages182
LanguageSanskrit, Prakrit
ClassificationMagazine, India_Anusandhan, & India
File Size12 MB
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