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________________ फेब्रुआरी - २०१५ १३७ न होय? अने जो कारणक्षेत्र अने कार्यक्षेत्र जुदां न होइ शके, तो कारणक्षण अने कार्यक्षण जुदी केम होई शके ? जे क्षणे कारणरूप क्रिया छे ते क्षणे कार्यरूप फळ न जन्मे, परन्तु क्रिया नष्ट थई जाय पछी कारणाभाव होय ओ क्षणे कार्य जन्मे, आवी व्यवस्था तो केवी रीते स्वीकाराय ? माटे क्रिया पोताना अस्तित्वनी क्षणे ज कार्य जन्मावे छे ते स्वीकारवू पडशे. . आनो सूचितार्थ से थाय के वस्तुनी उत्पादनप्रक्रिया जे क्षणे प्रवर्ते छे, ते ज क्षणे वस्तु उत्पन्न थाय छे. अर्थात् जे वस्तु जे क्षणे कराई रही छे - "क्रियमाण' छे, ते ज वस्तु ते ज क्षणे कराई चूकी छे - ‘कृत' छे. प्रभु वीरे करेली 'कज्जमाणे कडे'नी प्ररूपणा आ नयविचारणाथी संगत बने छे. ____ आ विचारणाना अन्य फलितार्थो नीचे मुजब छ : १. निश्चयनय मुजब चरमक्षणे प्रवर्तती क्रिया ज कार्यजनक होय छे, ते पूर्वेनी क्षणिक क्रियाओ नहीं. तेथी आ नय ओक चरमक्षणनी क्रियाने ज कारण ... गणे छे, ते पूर्वेनी क्रियाओ तेना मते कारण नथी गणाती.' २. क्रियमाण कृत ज होय छे, पण कृत साध्यतावस्थामा क्रियमाण पण होय छे अने सिद्धतावस्थामा क्रियमाण नथी पण होतुं. ३. "क्रियमाण'थी साध्यता सूचवाय छे अने 'कृत' सिद्धता सूचवे छे. तेथी साध्यता-सिद्धता वच्चेनो विरोध 'कज्जमाणे कडे' प्ररूपणाने मिथ्या ठेरवे छे. पण आ नयना मते साध्यता 'साध्यताविशिष्टसिद्धता' रूप ज होय छे, तेथी उपरोक्त विरोध नथी रहेतो. ४. क्रिया (कार्यनी उत्पादनप्रक्रिया) अने निष्ठा (कार्यनी समाप्ति) ओ बे • जुदी बाबत छे, पण क्रियाकाल अने निष्ठाकाल मेक होई शके छे. __ * * * व्यवहारनय लोकव्यवहार, प्रत्यक्षदर्शन व. पर ध्यान आपे छे. तेथी ते अम कहेशे के कुम्भार लांबा समय सुधी प्रयत्न करे त्यारे घडो जन्मे छे. • आ बधो वखत तेणे घडो बनाववानी ज महेनत करी होय छे, तेथी ते घटोत्पादननी ज प्रक्रिया छे.५ आ क्रिया चालु होय त्यारे तमे कुम्भारने पूछशो के "घडो बनी गयो ?" तो ते अम कहेशे के "ना, घडो बनाववानुं चालु
SR No.520567
Book TitleAnusandhan 2015 03 SrNo 66
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShilchandrasuri
PublisherKalikal Sarvagya Shri Hemchandracharya Navam Janmashatabdi Smruti Sanskar Shikshannidhi Ahmedabad
Publication Year2015
Total Pages182
LanguageSanskrit, Prakrit
ClassificationMagazine, India_Anusandhan, & India
File Size12 MB
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