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फेब्रुआरी - २०१५
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न होय? अने जो कारणक्षेत्र अने कार्यक्षेत्र जुदां न होइ शके, तो कारणक्षण अने कार्यक्षण जुदी केम होई शके ? जे क्षणे कारणरूप क्रिया छे ते क्षणे कार्यरूप फळ न जन्मे, परन्तु क्रिया नष्ट थई जाय पछी कारणाभाव होय ओ क्षणे कार्य जन्मे, आवी व्यवस्था तो केवी रीते स्वीकाराय ? माटे क्रिया पोताना अस्तित्वनी क्षणे ज कार्य जन्मावे छे ते स्वीकारवू पडशे.
. आनो सूचितार्थ से थाय के वस्तुनी उत्पादनप्रक्रिया जे क्षणे प्रवर्ते छे, ते ज क्षणे वस्तु उत्पन्न थाय छे. अर्थात् जे वस्तु जे क्षणे कराई रही छे - "क्रियमाण' छे, ते ज वस्तु ते ज क्षणे कराई चूकी छे - ‘कृत' छे. प्रभु वीरे करेली 'कज्जमाणे कडे'नी प्ररूपणा आ नयविचारणाथी संगत बने छे.
____ आ विचारणाना अन्य फलितार्थो नीचे मुजब छ : १. निश्चयनय मुजब चरमक्षणे प्रवर्तती क्रिया ज कार्यजनक होय छे, ते पूर्वेनी
क्षणिक क्रियाओ नहीं. तेथी आ नय ओक चरमक्षणनी क्रियाने ज कारण ... गणे छे, ते पूर्वेनी क्रियाओ तेना मते कारण नथी गणाती.' २. क्रियमाण कृत ज होय छे, पण कृत साध्यतावस्थामा क्रियमाण पण
होय छे अने सिद्धतावस्थामा क्रियमाण नथी पण होतुं. ३. "क्रियमाण'थी साध्यता सूचवाय छे अने 'कृत' सिद्धता सूचवे छे. तेथी
साध्यता-सिद्धता वच्चेनो विरोध 'कज्जमाणे कडे' प्ररूपणाने मिथ्या ठेरवे छे. पण आ नयना मते साध्यता 'साध्यताविशिष्टसिद्धता' रूप ज
होय छे, तेथी उपरोक्त विरोध नथी रहेतो. ४. क्रिया (कार्यनी उत्पादनप्रक्रिया) अने निष्ठा (कार्यनी समाप्ति) ओ बे • जुदी बाबत छे, पण क्रियाकाल अने निष्ठाकाल मेक होई शके छे.
__ * * * व्यवहारनय लोकव्यवहार, प्रत्यक्षदर्शन व. पर ध्यान आपे छे. तेथी ते अम कहेशे के कुम्भार लांबा समय सुधी प्रयत्न करे त्यारे घडो जन्मे छे. • आ बधो वखत तेणे घडो बनाववानी ज महेनत करी होय छे, तेथी ते घटोत्पादननी ज प्रक्रिया छे.५ आ क्रिया चालु होय त्यारे तमे कुम्भारने पूछशो के "घडो बनी गयो ?" तो ते अम कहेशे के "ना, घडो बनाववानुं चालु