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फेब्रुआरी - २०१५
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द्रव्यनिक्षेप - जो अर्थ या वस्तु पूर्व में किसी पर्याय, अवस्था या स्थिति में रह चुकी हो अथवा भविष्य में किसी पर्याय अवस्था या स्थिति में रहने वाली हो उसे वर्तमान में भी उसी नाम से संकेतित करना - यह द्रव्यनिक्षेप है । जैसे कोई व्यक्ति पहले कभी अध्यापक था, किन्तु वर्तमान में सेवानिवृत्त हो चुका है उसे वर्तमान में भी अध्यापक कहना अथवा उस विद्यार्थी को जो अभी डाक्टरी का अध्ययन कर रहा है डाक्टर कहना अथवा किसी भूतपूर्व विधायक को तथा वर्तमान में विधायक का चुनाव लड़ रहे व्यक्ति को विधायक कहना - ये सभी द्रव्यनिक्षेप के उदाहरण हैं । लोकव्यवहार में हम इस प्रकार की भाषा के अनेकशः प्रयोग करते हैं, यथा - वह घड़ा जिसमें कभी घी रखा जाता था, वर्तमान काल में चाहे वह घी रखने के उपयोग में न आता हो फिर भी घी का घड़ा कहा जाता है ।
भावनिक्षेप - जिस अर्थ में शब्द का व्युत्पत्ति या प्रवृत्ति निमित्त सम्यक् प्रकार से घटित होता हो वह भावनिक्षेप है, जैसे - किसी धनाढ्य व्यक्ति को लक्ष्मीपति कहना, सेवाकार्य कर रहे व्यक्ति को सेवक कहना आदि ।
- वक्ता के अभिप्राय अथवा प्रसङ्ग के अनुरूप शब्द के वाच्यार्थ को ग्रहण करने के लिए निक्षेपों की अवधारणा का बोध होना आवश्यक है । उदाहरण के रूप में किसी छात्र को कक्षा में प्रवेश करते समय कहा गया 'राजा आया' इस कथन का वाच्यार्थ, किसी नाटक के मंच पर किसी पात्र को आते हुए देखकर कहा गया 'राजा आया' इस कथन के वाच्यार्थ से भिन्न है। प्रथम प्रसङ्ग में राजा का वाच्यार्थ 'राजा' नामधारी छात्र है, जबकि दूसरे प्रसङ्ग में राजा शब्द का वाच्यार्थ है - राजा का अभिनय करने वाला पात्र । आज भी हम 'महाराजा-बनारस' और - महाराजा ग्वालियर' शब्दों का प्रयोग करते हैं । किन्तु आज इन शब्दों का वाच्यार्थ वह नहीं है जो सन् १९४७ के पूर्व था । वर्तमान में इन शब्दों का वाच्यार्थ द्रव्यनिक्षेप के आधार पर निर्धारित होगा, जबकि सन् १९४७ के पूर्व वह भावनिक्षेप के आधार पर निर्धारित होता था। 'राजा' शब्द कभी राजा नामधारी व्यक्ति का वाचक होता है। तो कभी राजा का अभिनय करने वाले पात्र का वाचक होता है। कभी