SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 128
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ फेब्रुआरी - २०१५ ११९ श्रावस्तीना राजा तरीके पण नोंधायेला मळे छे. सेणियना पिता प्रसेनजित करतां प्रभावतीना पिता प्रसेनजित जुदा - पुरोगामी न होई शके ? केशीस्वामीने पार्श्व - शिष्य तरीके 'उत्तराध्ययन' मां वर्णव्या होवानी वात साची छे. पण व्याख्याकारो तेनो अर्थ 'परम्पराप्राप्त शिष्य' एम ज करे छे, अने ते अर्थनो अस्वीकार करवानुं शक्य केम बने ? बीजुं, सेणिय अने प्रभावती बन्ने एक ज पितानां सन्तान होय, तो अर्हत् पार्श्व अने सेणिय साळा - बनेवी बन्या गणाय. आवा सम्बन्धनो अछडतोये निर्देश कोई ग्रन्थमां मळयो नथी. बल्के सेणिय - पत्नी चेल्लणा अने अर्हत् वीर वर्धमान भाई- बहेन (मामा - फोईनां सन्तान) छे, ते हिसाबे सेणियनी वय एटली बधी अधिक होय तेम मानवुं मुश्केल बनशे. जे होय ते. डॉ. ढांकी तो सतत संशोधनशील प्रतिभा छे. तेओ ८६ वर्षे अने साव नादुरस्त देहस्थितिमां पण आवुं संशोधनात्मक चिन्तन तथा ऊहापोह करता रहे छे, ते बहु ज महत्त्वनी वात छे. 'मारी वात बधा माने' एवो हठवाद तेमणे दाखव्यो नथी. तेमनो आशय आवा मुद्दे वधु शोध थाय अने वधु प्रमाणो मेळवीने तथ्य सुधी पहोंचाय तेटलो ज. छे. - शी.
SR No.520567
Book TitleAnusandhan 2015 03 SrNo 66
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShilchandrasuri
PublisherKalikal Sarvagya Shri Hemchandracharya Navam Janmashatabdi Smruti Sanskar Shikshannidhi Ahmedabad
Publication Year2015
Total Pages182
LanguageSanskrit, Prakrit
ClassificationMagazine, India_Anusandhan, & India
File Size12 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy