________________
फेछुआरी - २०१५
११७
अर्हत् पार्थनो असली समय
- मधुसूदन ढांकी
कल्पसूत्र अन्तर्गत 'जिनचरित'मां जिनांतरा-प्रसंगे महावीर अने पार्श्व वच्चे २५० वर्षनो गाळो बताव्यो छे. दिगम्बर सम्प्रदायमां पण पञ्चस्तूपान्वयी आचार्य वीरसेनना शिष्य जिनसेनना शिष्य गुणभद्र (प्राय: नवम शती उत्तराध)नुं कथन पण एवं ज छे. आम बन्ने प्रधान जैन सम्प्रदाय, कथन समान ज छे. अने आजे तो ओ ज मान्यता सर्वस्वीकृत छे.
परन्तु मने तो घणां वर्षोथी ओ मिति शंकास्पद लागेली जे अंगेनां मुख्य कारणो नीचे मुजब हतां :
(१) उत्तराध्ययन सूत्रना 'केशीगौतमीयम्' अध्ययन अनुसार अर्हत् पार्श्वना साक्षात् शिष्य 'केशी' अने भगवान महावीरना पट्टशिष्य गौतम वच्चे श्रावस्तीना तिन्दुकवनमां थयेल संवादवाळी घटना से सूचित करे छे के पार्श्व ज्येष्ठ जरूर हता, पण थोडाक दशका पूरता ज. २५० वर्ष जेटलुं अन्तर असम्भवित छे.
(२) व्याख्याप्रज्ञप्तिमां पार्श्वनाथना शिष्यो साथेनी वातचीतमां महावीर जे रीते अने जे आदरपूर्वक - अरहा पुरुषादानीय पास - एम उद्बोधन करे छे, तेनाथी ओवी छाप ऊठे छे के महावीर पार्श्वने जाणे छे, अने बन्ने वच्चे काळनी दृष्टिले लांबु अन्तर नथी.
(३) महावीरना मातापिता 'पापित्य' हता. सम्भव छे के तेओ • पार्श्वनाथना साक्षात् उपासक-शिष्यो होय. .
आ अनुमानने पुष्ट करतुं अक अन्य अने जोरदार प्रमाण हमणां ज ध्यानमां आव्युं छे, जे हवे अहीं प्रस्तुत करुं छु. .
वाराणसीना राजा अश्वसेन अने वामा(देवी)ना पुत्र पार्श्वना लग्न कुशाग्रपुरना राजा 'पसेनदी' (प्रसेनजीत)नी कुंवरी 'प्रभावती' साथे थयेला. 'पसेनदी'ना पुत्र बिम्बिसारे (श्रेणिक, सेनिय) राजगृहनी स्थापना करेली अने . ते गौतम बुद्ध अने ज्ञातृपुत्र महावीर बन्नेनो शिष्य हतो. आ परिस्थितिमां आ