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________________ नवेम्बर - २०१४ १३५ १३६ अनुसन्धान-६५ ॥ ढाल - तीजी ॥ सहेली हे आंबो मोरीयो - ए देशी ॥ बीजु बलदेव विजय ते, पाली आयु हो तिहोत्तरि लख वर्ष कै, सिद्ध थया सिवपद लही, वली आवस्ये के हो मतिभेद छै वर्ष कै. १ सूरीश्वर इम ते उपदिसै, भविजननें हो भाखै छै भेद कै, श्रोता श्रवण देई सुणे, सुणवानी हो मनमांहि उमेद कै.२ सूरीश्वर..... वीरना बीजा गणधरु, अग्निभूति हो चोहोत्तरि वास के, आयु पालीने सिद्ध थया, इम जंपै हो गुरु वाणी उल्लास कै. ३ सूरीश्वर..... नवमा सुविधि जिणेसरु, केवलि तेहना हो सय पंच्यत्तरि जांण के, मुगतमहिलमै जइ वस्या, प्रभु पाखै हो भवियणनें वांण कै. ४ सूरीश्वर...... भवनपति विद्युत तणा, दक्षिण उत्तर हो मिलिनै थया धाम के, लाख छहोत्तरि सवि कह्या, गुरु भाखै हो निश्चयथी नाम कै.५ सूरीश्वर..... गद्दतोय तुसिया देवता, परिवारै हो तेहनो छै अतीव कै, वरस सतोत्तरि आऊखो, सिवरमणी उल्लास कै. ६ सूरीश्वर...... वीरनो आठमो गणधरु, अकंपित हो अभिधांन , जास के, अठोत्तर वरसनो आऊखो, सिवरमणी हो पोहता छै वास कै. ७ सूरीश्वर...... रयणप्रभा पुढवी तणो, धोचर मांह(?) हो उगुण्यासी जेह कै, जोयण सहस मिल्यां वली, अबाधा हो विच अंतरु एह कै. ८ सूरीश्वर...... तीर्थकर इग्यारमो, असी धनुषनो हो उंचो देहमान के, पहिलो तृपृष्ट वासुदेवनो, देहमान हो इक्यासीनो मांन कै. ९ सूरीश्वर...... मनपज्जवनांणी तेतला, गुरु जंपै हो भवियणनें विलास कै, श्रीगुरुना चरण ग्रहया थकां, सुभ गतिमा हो मंकै भवि तास कै. १० सूरीश्वर....... देवानंदानी कूखमै, रह्या वीरजी हो संख्या ब्यांसी जांण के, अहोरत्तो तिहां अतिक्रमी, कूखै पोहता हो त्रिसलाने ठाण कै. ११ सूरीश्वर...... त्र्यासी दिवसें जइ वस्या, सिद्धारथ हो घरणीनें उल्लास के, गर्भसंहार समें भयो, भविजननें हो गुरु भेदप्रकास कै. १२ सूरीश्वर...... लख चौरासी जिन कही, जीवायोनी हो पुढवी आदि जांण के, मनुष्य पर्यंते सवि मिली, गुरु जांण के हो संख्याना प्रमाण कै. १३ सूरीश्वर...... आचारांगसूत्र चूलिका, तिण सहित हो उद्देसणकाल के, पच्यासी उदेसा भाखीया, श्रीप्रभुजी हो भवि जननें विलास कै. १४ सूरीश्वर...... सुविधिनाथ अरिहंतनें, गणधरनो हो छ्यासीय मान के, गुणविचार कह्या सही, विनयविजयनें हो नित प्रत सुख जांण कै. १५ दूहा : ज्ञानावरण अंतरायनी, दुविधि कर्म में टाल, षट कर्म उत्तर कही, सत्त्यासी संभाल. १ चंद्रतणा परिवारमें, अठ्यासी ग्रह जांण, नांम कह्या सिद्धांतमें, प्रभु ते अधिक वखांण. २ शांतिनाथ श्रीजिनतणी, सहस नव्यासी जांण, एकउंणी नवसै अधिक, प्रभु जांणे परिमाण. ३ देहमान शीतल तणो, नेऊ धनुष सविसेष, अजितनाथ अरिहंतना, गणधर नेउ असेष. ४ कुंथुनाथ भगवंतनें, ओहीनांणी परमाण, एकाj सय मुनिवरा, नीतिखेवना जांण. ५ गणधर गोतम अधिकतर, लब्धि तणो भंडार, बाणु वर्ष आयु भोगवी, पोहता मोक्ष-दुवार, ६ शांतिनाथ अरिहंतना, त्र्याj सय मुनिराय, चउद पूर्वधारी थया, भाखै गुरु गुणराय. ७ ढाल - चउथी । नदीय जमुनांकै तीर, उडै दोय पंखीया - ए देशी ॥ अजितनाथ अरिहंतने, ओहीनांणी संपदा, चोराणुं सय मुनिराज स्तव्या सुख संपदा; वीर जिणंदना सीस ते मोर्यपुत्र जाणीयइ, वर्ष पंचाणु आयु भाख्यो सूत्र आंणीइ. १ वाउकुमारना लाख छिन्नु घर सवि कहया, दक्षिण-उत्तर श्रेणि-भवन सास्वत रह्या; तेह तणा उपदेशकै दाता श्रीगुरु, श्रीजिनेंद्रजी गुरुरायनें नमस्कृत्य हुं करूं. २
SR No.520566
Book TitleAnusandhan 2014 12 SrNo 65
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShilchandrasuri
PublisherKalikal Sarvagya Shri Hemchandracharya Navam Janmashatabdi Smruti Sanskar Shikshannidhi Ahmedabad
Publication Year2014
Total Pages360
LanguageSanskrit, Prakrit
ClassificationMagazine, India_Anusandhan, & India
File Size1 MB
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