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नवेम्बर - २०१४
अनुसन्धान-६५
जयवंता जिनवरप्रासादह, सुरमंदिरथी मांडे वादह, श्रीजिनवरबिंब जयकारह, भावथकी पूजे नर-नारह. ७ पोढी पुण्यतणी पोसाल, चंद्रोदयसोभित सुविसालह, वाचंयम व्रतधर व्रत पालें, तप जपथी आतम अजुआले. ८ राज्य करे असुरसारह, न्याय-नीत चाले व्यवहारह, वयरी चोरनें दूरे टालें, भुजबले करी परजा पाले. ९ श्रावक लोक वसे सुखकारी, दाता भोक्ताने धनधारी, पोषे पात्र सदा मनरंगे, अभयदान अनुकंपा संगे. १० सामायक पोषध पचखाणह, धारी निसुणे सदगुरुवाणह, सुहगुरुनी नित सेवा सारें, जिनवरनी आणा चित धारे. ११ सुरतरु सम श्रावक दीइ दानह, श्राविका वली कामदुधा समानह, भाव विसेचे साधु संतोष, दान सुपात्रे दीइ चित चोखे. १२ गुरुदर्शनउत्सक गुणवंता, जिनमारगना सूधा भगता, संघ सकल मिली लिखें लेख, श्रीगुरु चित्तमा धरयो विवेक. १३
इत्यादि फलाणा गामथी सदा सेवक, दासानुदास, पायरजरेणुसमान, आज्ञाकारी सेठ फलाणा....
॥ अथ गुरुविनती भास ॥ मुझ दीजे हो राज्यसदन भणी सीखडी जी - ए देशी ॥ भले भावे हो राजि नमी धुरे सरसती जी वली प्रणमी निज गुरुपाय पुण्यवंता जी, करु वीनती हो राजि अनोपम एकमनें जी सुणो गछपति निज चित लाय गुणवंता जी. १ पूज्य आवो हो राजि ए मंगलपुरे जी एनो सुंदर छे सुभ ठाम पुण्यवंता जी, जिनयात्रा दो राज्य होस्ये वली अतिघणी जी ए तो नाम तिस्यो परमाण गुणवंता जी. २ पूज्य... मंगलपुर हो राजि अछे रलीयामणुं जी केतां कीजे तास वखाण पुण्यवंता जी,
श्रावकजन हो राजि धर्मी सुखीया सहू जी करे पोसहने पचक्खाण गुणवंता जी. ३ पूज्य... इहां आव्ये हो राजि लाभ थास्ये घणो जी पूजा पडिक्कमणा पच्चक्खाण पुण्यवंता जी, साहमीवच्छल हो राजि वली परभावना जी वली माल तथा उपधांन गुणवंता जी. ४ पूज्य... जिनजीनी यात्रा हो राजि होस्ये वली अति भली जी घणो वधस्ये धरमनो रंग पुण्यवंता जी, त्रेवीसमो हो राजि नवलखो भेटवा जी बीजा मुनी(नि)सुव्रतनो उच्छरंग गुणवंता जी. ५ पूज्य.... बीजी पिण हो राजि मूरति छे घणी जी आवी भेटो महाराज पुण्यवंता जी, दरीसण दीठो हो राजि मनडु उल्लसे जी, साचुं मानो गरीबनिवाज गुणवंता जी. ६ पूज्य..... उन्नति भली हो राजि होस्यें जिनधर्मनी जी, तिम वधस्ये धरमस्यूं नेह पुण्यवंता जी, श्रीसंघन[इ] हो राजि होस्ये अतिघणो जी, मानो विनती ए ससनेह गुणवंता जी. ७ पूज्य....
अम मनमे हो राजि दरिसणने अलजे बहू जी तुम्ह वांद्यानु एक चित्त गुणवंता जी, धन्य ते दिन हो राजि देखा जे गुरु तणो जी, मुखपंकज पुण्यपवित्र पुण्यवंता जी. ८ पूज्य..... गुरु गछपति हो राजि आवो देव जुहारवा जी तारवा जन उत्तम वृंद गुणवंता जी, श्रीसंघना हो राजि के वान वधारवा जी पाउधारो तपगछदिणंद पुण्यवंता जी. ९ पूज्य..... साह प्रेमा हो राजि कुले दीपक जयो जी पाटिमदे मात मल्हार गुणवंता जी,