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नवेम्बर - २०१४
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अनुसन्धान-६५
आठ कर्मसें झुंझते, सूरवीर सूरीश, मोहरण कु हठायकें, आप बने ध्रमईस. ३ ध्यान की लहरें रम रहे, चवद सहस मुनीमांह, ज्युं गंधाढ्य नवमालिकुं, भ्रमर छोडते नाह. ४ एसे महा सूरिकुं, प्रणमे सहु नर नार,
गुण षट्त्रीससुं ओपमा, वर्णव करुं विचार. ५ ॥ अथ सकलगुणनिधान इति परिभातेनात्र सूरिगुण अधिकत्वं यदा अन्य गुणप्रबंधन वाच्यमाने सति अंत न तत: सूत्रोक्तगुणान् ब्रुवे फलं मम ।।
अथ सूरीणां षट्त्रिंशतिगुणानां सिझाय ॥ ॥ ढाल- ढोला मारु घडी एक कर हो झुकाय हो ॥ अथवा सिंहलनृप
कहे चंदने राजिंद मोरा जोवो विचारी पुंठ हो - ए देशी ॥ वर षट्तीस गुणे करी साहिब मोरा, जुगपरधान कहाय हो, भविक हृदय पडिबोहवा साहिब मोरा, भास्कर जिम सूरिराय हो. १ रसनो भिनो मारो, ज्ञाननो लीणो मारो सूरिजी
साहिब मोरा भवभयभंजन तेह हो [आंकणी] पंचेंद्री-विषय जीपता साहिब मोरा, तेवीस तणो समुदाय हो, पढम करणना फरस ते साहिब मोरा, अठ कहुं ते गाय हो. २ रसनो.... गुरु लहु "सुखमाल "खर्खरो साहिब मोरा, उष्ण स्निग्ध सितल लुख हो, मन वच कायाई करी साहिब मोरा, पाले प्रथम गुण मुख हो. ३ रसनो.. बीजे गुण रसइंद्रीने साहिब मोरा, रोधे पांचे भेद हो, तीखो कटु कसायलो साहिब मोरा, खट मीठो नीखेद हो. ४ रसनो.... घ्राणेंद्रि तीजे गुणे साहिब मोरा, द्विभेदे अनुभाव हो, सुगंध दुगंध सम गीणो साहिब मोरा, नवि राखो इणसुं 'चाव हो. ५ रसनो.... तुर्य गुणे चक्षुइंद्रीने साहिब मोरा, पंच भेदे तुमे जीती हो, नील पीत स्याम रक्तता साहिब मोरा, स्वेत वरण ए भात हो. ६ रसनो.....
सुतभूति गुण पांचमो साहिब मोरा, भेद त्रण्य करी जांण हो, सुभ असुभ मिश्र वाक्य ए साहिब मोरा, तुमे त्याग्या हित आंण हो. ७ रसनो....
नवविध ब्रह्म गुपति सदा साहिब मोरा, पालो तुमे निसदीस हो, अकिंचन स्थाने नित रहो साहिब मोरा, वाड प्रथम षट इस [हो]. ८ रसनो.... विकथा नवि स्त्रीनी करो साहिब मोरा, वाड बीजी गुण सात हो, स्त्रीबेसणे बेसो नही साहिब मोरा, गुण आंठमो ए भात हो. ९ रसनो..... स्निग्ध द्रगे न विलोकता साहिब मोरा, स्त्री तणा अंग उपांग हो, नवमो गुण ए जाणीइं साहिब मोरा, दशमे गुण दंपतिसंग हो. १० रसनो..... पडिअछ अंतरे जे हुवे साहिब मोरा, नवि रहे तत्थ सूरीश हो, इग्यारमे गुण पूर्वली साहिब मोरा, नवि धरो विषयनी वास हो. ११ रसनो.... द्वादशमे गुण नवी लहो साहिब मोरा, विगयादिक आहार हो, अतिमात्रा वरजी करी साहिब मोरा, त्रयोदशमो गण सार हो. १२ रसनो..... सांसारी-भुषण तजी साहिब मोरा, बंभाभुषणधारी हो, मन वच काया एकता साहिब मोरा, चवदमो गुण जयकारी हो. १३ रसनो..... पणदशमे गुण क्रोध ते साहिब मोरा, च्यार चोकडीई त्याग हो, मान तज्या तुर्य चोकथी साहिब मोरा, षोडस गुणे गतराग हो. १४ रसनो..... चउबंध माया वेलि जे साहिब मोरा, सत्तरमे गुण उनमुल हो, गुण अढारमे लोभनी साहिब मोरा, पांखडी च्यारं घोल हो. १५ रसनो.... एकोनविसतिमे गुणे साहिब मोरा, छ कायमें दया मन्न हो, त्रिकरण करी नवी हणो साहिब मोरा, प्रथम व्रत धर्यो तन्न हो. १६ रसनो. व्रत दुजो गुण वीसमो साहिब मोरा, नवि बोले मृषा वाक हो, दान अदत्त नवी ग्रहो साहिब मोरा, गुण इकविसमो दोष हो. १७ रसनो.... द्वाविसमे गुणे सर्वथा साहिब मोरा, मैथुननो को त्याग हो, पर-रमणी मन नवि धरो साहिब मोरा, आप कसी वज्जलांग हो. १८ रसनो..... जीविंशतिमे गणे साहिब मोरा, परिग्रहनो परिहार हो.. मूर्छा नवि धरो चित्त हो साहिब मोरा, जग जस भयो अपार हो. १९ रसनो.... भणो भणावो ज्ञानने साहिब मोरा, लिखि थापे भंडार हो, गुण चोवीसमो दाखीयो साहिब मोरा, ग्यानरस दातार हो.२० रसनो..... पडिबोहो मिथ्यादृष्टिकुं साहिब मोरा, समकीतमूल बताय हो, संका कंख ते नवी रह्यो साहिब मोरा, पणवीसमो गुण थाय हो. २१ रसनो....