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________________ नवेम्बर - २०१४ २०१ २०२ अनुसन्धान-६५ बुद्धि-वृद्धि बहुली तिहां, साच वाच सुभ नीति, रूप रंग रति कांति अति, धर्म कर्म शुभ रीति. २ ॥ आज हजारी ढोलो प्राहुणो - ए देशी ॥ बाग बगीचा अतिघणा, अधिक तिहां वनराय सगरु मांहरा हो, अनड" नदी सायर घणा, कमणा नही छै काय सुगुरु मांहरा हो. १ मरुधर देस पधारीयै [ए आंकणी] विनयी लोक बहु गुणी, उपगारी उर धार सुगुरु माहरा हो, दान दियण दाता भला, तप संयमना कार सुगुरु मांहरा हो. २ मरुधर... मरुधर नयर छे नवनवा, सेहर नागोर तिहां सार सुगुरु मांहरा हो, नव कोटां सिरसेहरो, लीलालहिर अपार सुगुरु मांहरा हो. ३ मरुधर..... राठोडांनो बसणौं, अनमी अटल अभंग सुगुरु मांहरा हो, गढ नागोरें अति भलो, देखत नवलो चंग सुगुरु मांहरा हो. ४ मरुधर..... ऊंचो अधिक मनोहरु, मेरुसुं मंडै वाद सुगुरु मांहरा हो, पोला सात प्रचंड छै, सिरई पोल सुप्रसाद सुगुरु मांहरा हो. ५ मरुधर..... पूरवदिशिमें परगडी, सूर्यपोल सुखकार सुगुरु मांहरा हो, कुंगर'२ भुरजां सुंदरु, समस" सरोवर धार सुगुरु मांहरा हो. ६ मरुधर.... गीदाणीसर अति दीपतो, जीपतो लहरतरंग सुगुरु मांहरा हो, तिहां भैरव जग राजतो, छाजतो तेज सुचंग सुगुरु मांहरा हो. ७ मरुधर..... बखतसागर जलथी भर्यो, निरमल जल रहै नित्त सुगुरु मांहरा हो, नर नारी बहुला मिली, केलि करै इकचित्त सुगुरु मांहरा हो.८ मरुधर..... वलि सरवर त्रण्य जाणीय, लाल सागरनें प्रताप सुगुरु मांहरा हो, मोरचो विषम झडां तों, अरीनें उपजे संताप सुगुरु मांहरा हो. ९ मरुधर.... तारकीन पीर जागतो, बाहिर सेहरने पास सुगुरु माहरा हो, मेहलायत करी सोहतो, परचा पूरत खास सुगुरु मांहरा हो. १० मरुधर..... मुरलीधर मन मोहतो, सेहर विचै सोहंत सुगुरु मांहरा हो, शिवमारगमहिमा घणी, सेव करें बहु संत सुगुरु मांहरा हो. ११ मरुधर..... योगीसर बहु युगतिसुं, साचवै गढ मन शुद्ध सुगुरु मांहरा हो, आंण वहै महारायनी, तेहने न लेस कुबुद्ध सुगुरु मांहरा हो. १२ मरुधर..... हिव मंदिर जिनवर तणा, सात अछै सुखकार सुगुरु मांहरा हो, आदीसर अविलोकता, न रहै पापपसार सुगुरु माहरा हो. १३ मरुधर..... हीरावाडीयें सोभता, वर्धमान जिनचंद सुगुरु माहरा हो, घोडावतनी पोलमें, चोमुख शांतिजिणंद सुगुरु मांहरा हो. १४ मरुधर..... पास सुमति वलि वांदता, दुख जाय सवि दूर सुगुरु मांहरा हो, दोय मंदिर दिगंबर तणा, प्रतर्फे अधिकै नूर सुगुरु मांहरा हो. १५ मरुधर.... पूजा सतर प्रकारनी, विरचै हरख अपार सुगुरु मांहरा हो, नर नारी मिलि भाव, मणुअ जनम करै सार सुगुरु माहरा हो. १६ मरुधर..... सांडासाहनी पोलमां, ऊपासरो चउसाल सुगुरु मांहरा हो, तिहां मुनिवर दीये देसना, सुणे भविक उजमाल सगरु माहरा हो. १७ मरुधर.... इत्यादिक तपगछ तणा, स्थानिक जाणों पंच सुगुरु मांहरा हो, श्रावक श्राविका युगतिसुं, करें धरमनो संच सुगुरु माहरा हो. १८ मरुधर..... दूहा : पासचंद तणा वली, स्थानिक कहीये दोय, खरतरना त्रण जांणीय, लौंकाना चउ होय. १ तिहां मुनिवर बेठा थका, उद्यम करै अपार, योतिष वैद्य सिद्धांतना, जाणणहार उदार. २ पोसालां पंच सोभती, पढे तिहां बहु बाल, राजपंथ सोहै तिहां, चलै जिहां सुभ चाल. ३ न्याय नीति पालै सदा, हाकम अति हितकार, कोटवाल चित उजलैं, करै नगर रखवाल. ४ ॥ ढाल-तेहिज ॥ तिहां राजा जग राजतो, गाजतो तेज अनंत सुगुरु मांहरा हो, तखत-महिपति मरुधरै, भाग्यबलें विलसंत सुगुरु माहरा हो. १९ मरुधर..... सूरवीर साहसधरु, खाग त्याग निकलंक सुगुरु मांहरा हो, जोधांसिरै जस जयकरु, सबला मांने संक सुगुरु माहरा हो. २० मरुधर..... वचन न खंडै आपणौं, धर्मथी अधिक मंडाण सुगुरु मांहरा हो, मांनसागर गुरुरायनो, रूपेंद्र वंदे सुप्रमाण सुगुरु माहरा हो. २१ मरुधर....
SR No.520566
Book TitleAnusandhan 2014 12 SrNo 65
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShilchandrasuri
PublisherKalikal Sarvagya Shri Hemchandracharya Navam Janmashatabdi Smruti Sanskar Shikshannidhi Ahmedabad
Publication Year2014
Total Pages360
LanguageSanskrit, Prakrit
ClassificationMagazine, India_Anusandhan, & India
File Size1 MB
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