SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 110
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ नवेम्बर - २०१४ ॥ आज भलें दिन ऊमाहो ए देशी ॥ सहु देसां सिर सोहें हो मन मोहै नर नारी तणा, गुज्जर धर सुभ वेस, रोग सोग नहीं व्यापे हो संतापें कोपे पापनें, आपे सुख अति वेस. १ सहु ...... नित प्रति सहु नर नारी हो, सुभकारी सारी सोहती, मोहती इंद नरिंद उज्वल अनुपम वेसें हो, सुखलेसें नयनां चोरती मोरती मान महेंद. २ सहु..... दिव्य रूप धरें देही हो, जग तेही इंद्राणी नही, पूजें जिन त्रिण काल, घट कायक प्रतिपालें हो, रखवालें प्रवचनमातनें, वन्दन अनूपम राजें हो, सुख साजै सारद चंदज्युं, वचन अमृत रसाल, तिण ही ज उत्तम देसें हो, नहीं क्लेसें रेसे सुंदरुं, वीसलनयर विसाल. ४ सहु..... ओपम एहनी कहवा हो, नवि लहवा गुरु निज बुद्धिथी, मुझथी किम कहवाय, तो पिण बुद्धि विस्तारै हो, किंचित् वर्ण, सत्य शील सुभ चाल. ३ सहु...... तिहां राजिंद सुखसाजे हो, १८१ सद्गुरुपद चित्त लाय ५ सहु..... अनड अभंग अगंजी हो, नहि रंजी अरिदल देखनें, गढ मढ पोल प्रचंड, बहुरंगा खाइ-बंधक, कंगुर भुरज छै चंगा हो, ठंडा अति ब्रह्मंड ६ सहु...... विराजें नीत गुणें करी, षट्दर्शनप्रतिपाल, खान महा सुलतान हो, सुभवान दानगुणें करी, मानमहेंद रिपुसाल. ७ सहु...... १८२ अनुसन्धान- ६५ नित प्रति स्वधर्म पालता हो, सुद्ध माला इष्टना नामनी, जपमाला जग सार, रटत सदा तन मनथी हो, वली वचनें स्तवना इष्टनी, सिष्ट सदा हितकार. ८ सहु...... अनमी जगमें राजे हो, दिवाजे साजें तेजथी, मानुं रवि परभात, उदयो गुणगण किरणे हो, नहिं वरणे रातो रोसथी, पोसक परम सुजात. ९ सहु...... तस मंत्री मनमोजें हो, नहि खोजें पापसंतापने, इच्छाचंद सुभ चाल, चोर चरडने दंडे हो, नहि खंडे आण नरिंदनी, हाकम दीनदयाल. १० सहु...... पंडितपद करि राजे हो, वलि गाजें राजेंद काममें, भाउ फणेस विख्यात, सेठ पदें सुभ गाजें हो, विराजें मनछा मगनजी, देवी अमोलख जात. ११ सहु..... हेमजी जेठा लखमी हो, नहि विषमी सरधा तेहने, केसव चिमन गुलाब, मेंता पदमें राजें हो, वलि उत्तम सारथ रामजी, एहनें धर्मनो जांब. १२ सहु...... अवर वली गुरुरागी हो, सुभ जागी सरधा तेहने, अधिका लिखमीवंत, वलि तिहां पवन छतीसे हो, मन हीसें सदगुरु नामसुं, वसत सदा सुख संत. १३ सहु...... वलि जिनघर तिहां चंगा हो, मनरंगा पास चिंतामणि, च्यार भूम चोसाल, शांतीसर मन भाया हो, सुखदाया सेवक संतनें, धन्य ते पूजे त्रिण काल. १४ सहु......
SR No.520566
Book TitleAnusandhan 2014 12 SrNo 65
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShilchandrasuri
PublisherKalikal Sarvagya Shri Hemchandracharya Navam Janmashatabdi Smruti Sanskar Shikshannidhi Ahmedabad
Publication Year2014
Total Pages360
LanguageSanskrit, Prakrit
ClassificationMagazine, India_Anusandhan, & India
File Size1 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy