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________________ २६४ अनुसन्धान-६४ विहङ्गावलोकन : अ६०-६१-६२नु . - उपा. भुवनचन्द्र 'अनुसन्धान'नो ६०मो अङ्क 'विज्ञप्तिपत्र विशेषाङ्क' रूपे प्रगट करायो छे. प्रकाश्य सामग्री एटली एकत्र थई के ६१मो अङ्क पण विशेषाङ्क रूपे प्रगट थयो. हजी पण सामग्री अवशिष्ट रहेतां ६३मो अङ्क पण विज्ञप्तिपत्र विशेषाङ्कनो खण्ड हशे. 'अनुसन्धान' जेवा सामयिक द्वारा आ एक मोटुं काम थयुं छे. विज्ञप्तिपत्रोनुं ऐतिहासिक-सांस्कृतिक महत्त्व सुविदित छे. विज्ञप्तिपत्रो भिन्न भिन्न स्थळेथी प्रकाशित पण थया छे. विशेषाङ्कमां अत्यार सुधी अप्रगट रह्या होय एवां वि. पत्रो प्रकाशित करवानुं लक्ष्य हतुं. प्रगट थई चुकेला विशेषाङ्क (१-२ खण्ड) जोतां ए लक्ष्य सारी पेठे सिद्ध थयुं छे एम लागे. . विज्ञप्तिपत्रोनी वाचनाओ महदंशे शुद्ध रूपे छपाई छे. वि.पत्रोतुं सम्पादन भिन्न भिन्न सम्पादको द्वारा थयुं छे. आ काम सरळ मथी होतुं. रचना समजाय नहि तो शुद्ध रूपे लखी शकाय नहि अने वि. पत्रो पत्र होवा छतां साहित्यनी दृष्टिए उच्च काव्यतत्त्व अने विद्वत्ताथी समृद्ध होय छे. शब्दकोश, काव्यचमत्कृति, वर्णनविस्तार, कूटकाव्य, चित्रकाव्य - आq घणुं बधु वि.प.मां गूंथायुं होय छे. छन्दवैविध्य तो खरं ज. आ सङ्ग्रहमां एक विज्ञप्तिपत्र महासमुद्रदण्डक जेवा छन्दमां ग्रथित छे. आखं विज्ञप्तिपत्र एक श्लोक जेटलं, पण श्लोकनुं एक-एक चरण ९९९ अक्षरनु! संस्कृत काव्यरसिकोनो मनमयूर नाची ऊठे एवो काव्यवैभव आ विज्ञप्तिपत्रोमां समायो छे. आ वैभव आपणने संपडावनार सम्पादक मुनिवरोने शतशः धन्यवाद! प्रकाशित विज्ञप्तिपत्रोनी संक्षिप्त समीक्षा तथा ऐतिहासिक सन्दर्भोनी साथे ध्यानार्ह बिन्दुओने तारवी आपती भूमिका ते ते विज्ञप्तिपत्रो साथे जोडवामां आवी छे. 'अनु०'ना सम्पादकश्रीनो आ परिश्रम विशेषाङ्कने सार्थक करे छे. विज्ञप्तिपत्रोनुं परिशीलन करतां सतत परिवर्तन पामती सङ्घव्यवस्था, साधुसामाचारी, रीत-रिवाज वगेरे अंगे महत्त्वपूर्ण दस्तावेजी साक्षीओ हाथ लागे छे. रूढि, परम्परा अंगेना विवादोमां आ तथ्यो दिग्दर्शक बनी शके. Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.520565
Book TitleAnusandhan 2014 08 SrNo 64
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShilchandrasuri
PublisherKalikal Sarvagya Shri Hemchandracharya Navam Janmashatabdi Smruti Sanskar Shikshannidhi Ahmedabad
Publication Year2014
Total Pages298
LanguageSanskrit, Prakrit
ClassificationMagazine, India_Anusandhan, & India
File Size4 MB
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