________________
जुलाई - २०१४
२३९
.
सोभित अति सुंदर, मोहनमंदिर, गोखा [झोखा?] वृंद भल है इतबारी, सोभा सारी, जसभारी जैचंद आगें अति नीकी, चतुराजीकी, झुकी हवेली आंन
ऐसों घांणोरा..... ५४ थित महाजन थट्टा, करै गेहैगट्टां, वसें वडे रिधवंत, मंदिरकी औंला, सूंदर पौंला, छौंला छिब दीपंत, उहां भी इक देख्या, परचा पेख्या, जुंझारांका थान
ऐसों घांणोरा..... ५५ पीरांकू पेख्या, दरगह देख्या, देखा तुरकाके वास, बैठे सिप्पाई, भली हथाई, पढे कुराणां खास, काजी मुगलांणं, सैयद खांनं, नायक मीर पठांन,
ऐसों घांणोरा..... ५६ राजावत राजै, चढत दिवाज, सोभित सुंदर वास, है जनहितकारी, भल इतबारी, ज्यांके वडे अवास, गोंखांकी झौंखां, वडी अनौंखा, दीपै भली दुकांन,
ऐसों घांणोरा..... ५७ धोबी अरू नाई, भाट भवाई, दरजी घडित लोहार,
सूथारने नायत, अरु किसबायत, वसहै वर्ण अढार, ... नवनारू कारू, पवन छत्तीसें, केते कहुं वखांन,
ऐसों घांणोरा..... ५८ .... वसतीके पीछे, बाग बगीचे, वापी कूप विशेष,
गुल्लाबांवाडी, सोभित सार(री), सुरभि तरु असेष, ‘जग्गाकि(की) वलासं, करणविलासं, देख्यां सूंदर थांन, .
ऐसों घांणोरा..... ५९ संवत१९२१ नभअंगे, 'द्विरद अवीसंगे, तपसी सित हुजवार, तेरस तिथ वर्ते, आनंद धर्ते, कीयों छंद सुखकार, अधिकै उछरंगें, प्रेमप्रसंगे, पुरके कीये वखांन.
ऐसों घांणोरा..... ६०
Jain Education International
For Personal & Private Use Only
www.jainelibrary.org