SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 250
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ जुलाई - २०१४ २२७ मनोहर माननी मिल आत, जाझी जुगत सेंवें जात, लेनैं भलभला तिहां भोग, टालै दुख्य आरति सोग दोहा : सोभा कांनस तालकी, केती कहूं बनाय, प्रफुलित नवपल्लित-कुसुम, मुनीमन रहैं लोभाय १ छप्पय सूंदर अतुल विशाल, ताल गिरवर चिहुं तुल्लिय, निपट सुघट-तट विमल, अनल जल जलज प्रफुल्लिय, कुंजति कल कलहंस, केकि कोकिल कल बोलति, ललित लता लपटानि, तरल तरवर-तित सोहति, पथि लख सुथांन प्रमुदित हवैं हे, द्युति दीपत मानस दरस, कवि कहत कथ गोयम सुगुन, सोभा सर कान सरस. [दोहा] प्रथुल प्रघल जल-पूर, नाडी नाम किराडिका, नित उगमतै सूर, पदमणी पांणी आत हैं. ॥ तो गजल ॥ पदमन आत है पानीक, नीकी जांन ठुकरांनीक, जालिम जुगतकी जग्गैक, मुनीमन देखकैं डग्गैक, निरमल नीर ही भरीयाक, दरसै खूब ही दरीयाक, नीका कालिकाका थांन, सूधां रायका सनमान, परचा ताहिका भी पूर, दरस्यां दुख जाई दूर, पूज्यां पाईइं सुखवास, आसिक पूर हैं सहआर, . दोहा व्यास जग्नेसर वाव की, सोभा अति सुखकार, पदमणि आवै पांणीयें, नाजुक नाजुक नार. . ॥ तो गजल ॥ जग्नेसर वावकी हे जोख, निरमल नीरही अनैंख, आंबा आंबलीका रोप, सूंदर झाडसें आटोप, जग्गा जोवणे की खास, दरसें दूसरा कविलास Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.520565
Book TitleAnusandhan 2014 08 SrNo 64
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShilchandrasuri
PublisherKalikal Sarvagya Shri Hemchandracharya Navam Janmashatabdi Smruti Sanskar Shikshannidhi Ahmedabad
Publication Year2014
Total Pages298
LanguageSanskrit, Prakrit
ClassificationMagazine, India_Anusandhan, & India
File Size4 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy