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अनुसन्धान-६४
तीआरी........... तो करपा करी जात्र पधारसी । .......... श्रीजीना दरसणरी संगने घणी उमाहो से । अवंस पधारसी । वलता कागल समीसार देरावसी। .......... देरावसी। श्रीजी वंदसी सो दन सोना-रूपानो वेसी । सावक सरावका सरबने..................... । चोमासे वेगा पधारसी । आसगरी अरज सै सो मनसी। संवत् १८६२ पो० सु० ३ । ॥ ए८०॥
सरसति स्वामण विनवं, जोय रे बेह]नी, प्रणमी नीज गुरुपाय, मोरी बेहनी हे, गच्छपति गुणे गावता, जोय रे बेहनी, मुझ मन आणंद थाय, मोरी बेहनी रे. १ माने पुजजीसुं भेटवाना काम छे, जोय..... श्रीविजैजिनेंद्रसूरींद, मोरी...... प्रह उठीने प्रणमीये, जोय..... दुजो जांणे दिणंद, मोरी..... २ सकल देशां-सिरसेहरो जोय...., गुणवंतो गोढाण मोरी.., राज करे राजेस्वरु जोय...., राया मानसिंघ महाराय मोरी.... ३ . तस पदसेवक सूखकर जोय...., संघवी मांहे सिरदार मोरी...., लायक बुद्धे आगलो जोय...., संघवी मेघराज मोरी.... ४ । लायक लछीआगलो जोय...., मुंतो देवीचंद दल दरीयाव मोरी...., सकल गुणे करी सोभतो जोय...., वीजैवा नगर विसेष मोरी.... ५ तिहां श्रावक अति सुखीया वसे जोय...., धरमी ने धनवंत मोरी...., दांन मांने आगला जोय...., अवसरे लाहा लियंत मोरी.... ६ ईहां पांच तीरथ जग मोटिका जोय..., जुगते कीजे जात्र मोरी...., श्रीवरकाणोजी वंदीये जोय...., नीरमल कीजे गात्र मोरी.... ७ पुरव प्रेम संभारने जोय...., पउधारो गच्छराज मोरी...., अहनीस अम मनडा तणी जोय...., आवी पूरो मन आस मोरी... ८ श्रीजी पधार्याथी हुसी जोय..., जगमे जे-जेयकार मोरी...., श्रीविजेजीनेंद्रसूरिंदजी जोय...., प्रतपो जीम रवि चंद मोरी.... ९ .
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