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________________ २०५ जुलाई - २०१४ ॥ ढाल - ७ ॥ निरुपम नयर गुणे करी लाला, सोहै झाकझमाल जी, अलकापुर हुई अवतर्यो लाला, वरण वसे चोसाल चतुरनर! विजैवापुर श्रीकार. १ जीहां गढ मंदिर मालिया लाला, पोल अनेक प्रकार जी, जिनभुवन जुहारता लाला, जाई सहू जंजाल. २ चतुरनर!.... सोवनकलसै सोहता लाला, उंचा अधिक उत्तंग जी, महिमा मेरुने जीपता लाला, दंड ध्वज दीसे सुरंग. ३ चतुरनर!... सत्तरभेदपूजा रचै लाला, भावना भावे सारजी, सहू श्रावक श्राविका लाला, समकितधार उदार. ४ चतुरनर!.... वडै(सै?) वडा व्यापारीया लाला, महिपति साह समान जी, दांन मांन करि दीपता लाला, संपदा धनद समान. ५ चतुरनर!.... गोख जाली अरु मालीया लाला, चउदिसी सब चंग जी, विचमां नगर विराजतो लाला, मेरु ज्यु एह अभंग. ६ चतुरनर!..... परवत-प्रायः प्र(प्रा)साद लाला, सुखीया लोक सहू जी, विलसता रिद्धसंवाद लाला, वन उपवनने वाडीया. ७ चतुरनर!.... देवकुमारसा दीपता लाला, मानवना जिहां थाट जी, . . रूपै अपछर ते अनुहारडे लाला, नारीयो निरुपम घाट. ८ चतुरनर!.... रतनागर जिम रूयडा लाला, सरवर चिहुं दिसि च्यार जी, नीर भर्या नित प्रते रहे लाला, केल करे खग सार. ९ चतुरनर!.... सुगुरु सुदेव सुधर्मना लाला, रागी सहू नर नार जी, श्रावक तिहां नित साधता लाला, धर्मना च्यार प्रकार. १० चतुरनर!.... एम अनेक गुणे करी लाला, सहेर विजैवा सुखथान जी, . श्रीश्रीपूज्यना वचनथी लाला, घरे सदा ध्रमध्यांन. ११ चतुरनर!...... . दूहा संघ समस्त तिहां थकी, लेख लिखे श्रीकार, त्रिविध त्रिविध करे वंदना, अवधारो गणधार. १ Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.520565
Book TitleAnusandhan 2014 08 SrNo 64
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShilchandrasuri
PublisherKalikal Sarvagya Shri Hemchandracharya Navam Janmashatabdi Smruti Sanskar Shikshannidhi Ahmedabad
Publication Year2014
Total Pages298
LanguageSanskrit, Prakrit
ClassificationMagazine, India_Anusandhan, & India
File Size4 MB
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