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________________ १८२ अनुसन्धान-६४ तेत्रीस आसातन कही रें, ते टालें निसदिस, चोत्रिस अतिसय जांणता, हो जी वांणीगुण पांत्रिस. १३ सूरीसर... छत्रिस उत्तराध्ययनना रें, उपदेशक गणनाथ, गणधर कुंथु जीणंदना रे, हो जी सगतिस ज सिवसाथ. १४ सूरीसर... दूहा : खूड्डियाविमांणवर्गे बिों, उद्देशा अडतीस, समयक्षेत्र मांहि अछे, कुलगिरि गुणच्यालिस. १. . देहमांन श्रीशांतिनो, धनुष च्यालीस जगीस, पढम महल्लीयवग्गना, उद्देशा एगतालिस. २ . बायालिस कालोदधे, सूरज करें उदबोध,. करमविपाकोद्देश छ, त्रयालिस सुबोध. ३ उद्देशा वर्गे कह्यां, चौथै चौआलीस, धर्मनाथजिनदेह छे, धनूष ज पणयालिस. ४ ॥ ढाल - संयमथी सूख पांमीई - ए देशी ॥ बंभि लिपिना जांणिई, अक्षर छेतालिस सुगुरुजी, , अगनभूति गृहमें वस्या, वरस ज सगच्यालीस सुगुरुजी १ . उपदेशक तेहना तुह्म पन्नरमां धरम जिनेशना, गणधर अडतालिस, सुगुरुजी, तेरंद्री, आउखू, ओगणपंचास जगीस सुगुरुजी. २ उपदेशक.... देह अनंतजिणेशजें, धनूष भला पंचास सुगुरुजी, उद्देशा एगावह्ना, नवे ब्रह्मना खास सुगुरुजी. ३ उपदेशक... मोहनि कर्म तणा भण्यां, सूत्रे नाम बावन सुगुरुजी, पंच अनुत्तरे उपना, वीरना शीस पह्न सुगुरुजी. ४ उपदेशक.... नेम प्रभू छदमस्तपणे, विचर्या दिन्न चोपन्न सुगुरुजी, अंत समें वीरें कह्या, अज्झयणा पणपन्न सुगुरुजी. ५ उपदेशक.... विमलनाथना शोभता, वली गणधर छप्पन्न सुगुरुजी त्रिण गणपिट्टक मली, अज्झयणा सगवन्न सुगुरुजी. ६ उपदेशक.... नांणावरणी में वेदनी, आऊ नाम अंतराय सुगुरुजी, उत्तर प्रकृति ए पांचनी, अट्ठावन्न समूदाय सुगुरुजी. ७ उपदेशक... Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.520565
Book TitleAnusandhan 2014 08 SrNo 64
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShilchandrasuri
PublisherKalikal Sarvagya Shri Hemchandracharya Navam Janmashatabdi Smruti Sanskar Shikshannidhi Ahmedabad
Publication Year2014
Total Pages298
LanguageSanskrit, Prakrit
ClassificationMagazine, India_Anusandhan, & India
File Size4 MB
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