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________________ जुलाई - २०१४ एक रितु चंद्रसंवत्सरे, ओगणसठि निसि मांन सुगुरुजी, विमलनाथ जिनरायनुं, सांठ धनुष देहमांन सुगुरुजी. ८ उपदेशक... चंद्रमंडल इगसठीआ, भागे भजीई जांण सुगुरुजी, शांतिनाथ जिन मूनिवरा, बासठि सहस वखांण सुगुरुजी. ९ उपदेशक...... निषध निलगिरि [ए] त्रेसठा, करे प्रकास दिनकार सुगुरुजी, चक्रवर्ति पहेरें सदा, चोसठ शिरनो हार सुगुरुजी. १० उपदेशक... जंबूद्वीपे भासिया, रविमंडल पणसठि सुगुरुजी, दक्षिण मानुषगिरि सदा, चंद्र तपें छासठि सुगुरुजी. ११ उपदेशक.... श्रीश्रेयांस जिणंदना, गणधर वली सगसठ सुगुरुजी, धातखि खंडे जिनवरा, उत्कृष्टा अडसट्ठि सुगुरुजी. १२ उपदेशक... दूहा : सात कर्म उत्तरप्रकृति, उगुणसित्तर विण मोह, सत्यरि घणुं ऊंचा पणो, वासूपूज्य जिन मोह. १ एकोत्तरपूरव सहस लग्ग, अजित वस्या घरवास, कला बहोत्तर जांणता, विद्यागुण - लिलविलास. २ विजयदेवनं आखू होत्तर वरस सहस्स, अग्नीभूति गणधर तणुं, आऊ चिहोत्तर वरस. ३ पंचोत्तरशो केवलि, पुप्फदंतना जांण, . छिहत्तर लाख पूरव पछी, भरते थया महारांण. ४ अठ्योत्तर लवथी होवें, एक मूहूरतनो मांन, अकंपितनो आऊखो, अठ्योत्तर वरस प्रमाण. ५ जंबूद्वीप पोलैं अंतरुं, जोयण गुण्यासि सहस्स, श्री श्रेयांस तनुंमांन छे, औसी धनूष सहस्स. नव-नवमीया मूनिवर तणा, प्रतिमांना दिनमांन, काशी ते जांणीइं, तेह सयलना जांण. ७ ॥ ढाल ॥ कपूर होइ अति ऊजलो रे - ए देशी ॥ देवानंदा उर वस्या रें, ब्यासी दिन श्रीवीर, शीतलनाथना गणधरा रें, त्र्यासी वडह वजीर. १ Jain Education International For Personal & Private Use Only १८३ www.jainelibrary.org
SR No.520565
Book TitleAnusandhan 2014 08 SrNo 64
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShilchandrasuri
PublisherKalikal Sarvagya Shri Hemchandracharya Navam Janmashatabdi Smruti Sanskar Shikshannidhi Ahmedabad
Publication Year2014
Total Pages298
LanguageSanskrit, Prakrit
ClassificationMagazine, India_Anusandhan, & India
File Size4 MB
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