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________________ 14 अनुभवाय छे. तेमांय सातमा दूहामां तो कविए कमाल करी छे : “मोटा पुरुष . आपमेळे गुण/उपकार करता रहे छे; प्रियतम ! ए माटे तेओने कोई कारणनी गरज नथी होती. जोने, मेघराजा वरसी वरसीने वृक्षोने पल्लवित करे अने जलाशयोने छलकावे छे, तो ते माटे ते कोई दाण/वळतर थोडं ज ले छे? अथवा कोई कारणनी राह थोडी जुए छे ?" __आ दूहाओमां गुजराती भाषानो सारो प्रयोग थयो छे. अने आ दूहाओ • अन्य पत्रोमां पण जोवा मळे छे. तेथी आना कोई चोक्कस कर्ता नथी जडता; आ तो लोकोक्ति अने सुभाषितो जेवी सहुनी मझियारी मिलकतसमी रचना गणाय; लोकगीतनी माफक. आ पछी त्रिभङ्गीछन्दमां थयेल गुरुवर्णन वांचतां बारोटो द्वारा गवाता शक्तिमाताना छन्दो- स्मरण अवश्य थाय. अने आ वांचतां एवो पण पाको वहेम पडे के पत्र-कर्ता मूळे चारण/बारोट हशे के शुं? ते विना आQ प्रभुत्व ओछु । संभवे. २८ संस्कृत पद्यो प्रमाणमां सामान्य रचना लागे. तेमां रामना प्रिय बन्धु लक्ष्मणना नामे आ नगर 'लक्ष्मणपुर' वस्यानी कल्पना जरा रोचक छे. पण ते पछी ६७ + १३ श्लोको तेमज गद्यखण्डो, आ पत्र संस्कृत ज होय तेवू मानवा प्रेरे छे. एकंदरे पत्रसाहित्य- एक मजा- घरेणुं गणी शकाय तेवो आ पत्र छे. (१९) उपरनो पत्र खरतरगच्छ-सम्बद्ध हतो. हवेनो पत्र पार्श्वचन्द्रगच्छसम्बद्ध छे. सं. १८४२मां राजनगर (अमदावाद)थी लखायेल आ पत्र, स्तम्भतीर्थ-खम्भातमां बिराजता गच्छपति विवेकचन्द्रसूरिजीने राजनगर पधारवानी विनतिनो पत्र छे. आमां केटलोक भाग संस्कृत छे, अमुक ढाळो पण छे. आचार्यजी ओसवाल ज्ञातिना शाह मूलचंद अने माता लाछलदेवीना पुत्र होवानो एकथी वधुवार उल्लेख मळे छे, साधुगणनां नामो तथा राजनगरना श्रावक-श्राविकानां नामो क्यारेक इतिहासना संशोधनमां काम लागी शके. एक प्रयोग ध्यानार्ह छे : "पासचंद्रसूरीजीना गादीना खांवन छो" आ खांवन एटले उर्दू 'खाविंद'. पति, मालिक, स्वामी एवा अर्थमां ते वपरातो होय छे. पार्श्वनाथ-पंचकल्याणक-पूजामां "खावन खेल खेलाय के" एम प्रयोग मळे छे. रविभाण सम्प्रदायना एक भजनमां पण "खावनधणी" एवो प्रयोग थयो छे. Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.520565
Book TitleAnusandhan 2014 08 SrNo 64
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShilchandrasuri
PublisherKalikal Sarvagya Shri Hemchandracharya Navam Janmashatabdi Smruti Sanskar Shikshannidhi Ahmedabad
Publication Year2014
Total Pages298
LanguageSanskrit, Prakrit
ClassificationMagazine, India_Anusandhan, & India
File Size4 MB
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