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________________ छे. आ पत्र, विज्ञप्तिपत्र केवो/केवी रीते लखी शकाय तेनुं मार्गदर्शन आपवा माटे लखवामां आवेला पत्र-खरडारूप होय एम जणाय छे. आनां पद्योमा एक प्रकारनी अस्खलित प्रवाहिता द्योतित थाय छे. गम्भीर अने समासप्रचुर, छतां क्लिष्ट नहि एवी पदावलीनुं वहेण, कविनी कलममांथी, क्यांय थंभ्या विना, जाणे वह्ये ज जाय छे ! कवि द्वारा थतुं गुरुवर्णन ४८ श्लोकोमा पथरायुं छे, जे आपणने अवशपणे पोतानामां गरकाव करी मूके छे. विशेषणोनी वणझार तो बराबर, पण प्रास-मेळवणी केटली चोकसाईभरेली ! जुओ - जन्तूनां, केतूनां; बन्धूनां, साधूनां; धनदानां, फलदानां; नादानां, पादानां - एक पद्य एवं नहि जडे के जेमां प्रास मेळवायो न होय ! सशक्त कलम ज आटली फलद्रूप होय; गमे तेवानुं गजु नहि. हरि' शब्दना विविध - अनेक अर्थोनो विनियोग, उपमा द्वारा, गुरुमां करवो ते पण विलक्षण कविप्रतिभा विना न सम्भवे. ४९मा पद्यमां कदाच एवी सूचना मळे छे के लेखकने गुरुना आशीर्वादरूप प्रसादपत्र मळ्यो होवो जोईए; कदाच तेना प्रतिभावरूपे आ पत्र लखायो होय तो बनवाजोग छे. वस्तुतः अहीं बधी बाबतो अंधारामांज रहे छे. पण पूर्ण थया बाद ३ पद्यो छे तेमां पण 'प्रसादाशीर्वादः प्राप्त:' एवा शब्दो छे, ते पण उपरोक्त कल्पनाने ज बळ आपे तेवा छे. ओक कल्पना ओवी थाय छे के पत्रलेखके आ पत्र आणसूरगच्छप्रवर्तक श्रीविजयानन्दसूरि उपर लख्यो होय अने तेथी तेने 'आनन्द-विज्ञप्ति' अq नाम आप्यु होय जेमके उ. विनयविजयजीओ श्री विजयानन्दसूरि उपर लखेला पत्रनुं नाम 'आनन्द-लेख' प्रसिद्ध छे. (-विज्ञप्तिलेखसङ्ग्रह : सिंघी ग्रन्थमाळा, सं. मुनि जिनविजयजी) (५) पांचमो पत्र प्रसादपत्र छे. श्रीविजयप्रभसूरिए लखेल आ पत्नी संस्कृतभाषा प्रगल्भ - पाण्डित्यपूर्ण छे. प्रथम १६ मङ्गल-पद्यो छे, तेमां केटलीक मनोरम कल्पनाओ जोवा मळे छे. पद्य ९मां कवि कहे छे के पार्श्वनाथना देहमांथी नीतरतुं तेज, तेमना चरणे नमनारा मनुष्योना मस्तक उपर प्रसरे छे. तेथी एवो भास थाय छे के (आन्तर-) शत्रुओ उपर विजय मेळववा जता ते मनुष्योनी समक्ष, शुकन रूपे, भगवान्, जवारा धरी-दर्शावी रह्या छे. तो ११मा पद्यमा पार्श्वप्रभुना शिरे Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.520565
Book TitleAnusandhan 2014 08 SrNo 64
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShilchandrasuri
PublisherKalikal Sarvagya Shri Hemchandracharya Navam Janmashatabdi Smruti Sanskar Shikshannidhi Ahmedabad
Publication Year2014
Total Pages298
LanguageSanskrit, Prakrit
ClassificationMagazine, India_Anusandhan, & India
File Size4 MB
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