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________________ जान्युआरी - २०१४ बाललीला मंदीरीये रमतो आंगणे, ___ जक्ष विद्याधर संगम सोयमइंद जो। हुं देखी मन मोही रे हैडे हीसती, ____चोसठ देवी आवी करतां ओलंघ जो ॥ माता० ।५।। मारा जे सुखडां रे सुत साथे गया, दुखनां हैडे चडीयां आरणपुर जो । पुरवनी अंतरा रे आज आवी नडी, केम करी हैडु राखु धीर जो थीर जो ॥ माता० ॥६॥ पुरी अयोध्या केरा सुत तुं राजीयो, .. रीधी सीधि मंदीर बोहोलो परीवार जो । राजधांनीना सुखमां तात न सांभरो, रात-दीवस रहेतो रंग महेल मोझार जो ॥ माता० ॥७॥ सहेस वरस रीखवजीने फरतां वही गयां, हजी लगण खबर नही संदेसों नही नाम जो । आवडा रे कठण हैयाना केम थया, सुगणां सुतनां आवां काम न होय जो ॥ माता० ॥८॥ सुद्ध लेवरावो ने पुत्रजी माणस मोकलो, जुवो तिहां तात तणी सी गती होय जो । सेवकना स्वामीने एटलुं कहावजो, तुझ मातलडी नीज वातलडी होय जो ॥ माता ९ ॥ लीपिकृतं लहिया नानालाल हरीनंद ॥ मु० पाटण ॥ कठिन शब्दोना अर्थ कडी शब्द अर्थ _ कडी शब्द वडवे वरवो ६ आरणपुर अलवांणे __ उघाडा पगे ६ अंतरा सोयमइंद सौधर्म इन्द्र ८ सुगणां ओलंघ अर्थ अर्णव(-समुद्र)नुं पुर अंतराय सुगुणी शुद्धि (-समाचार) हेत Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.520564
Book TitleAnusandhan 2014 03 SrNo 63
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShilchandrasuri
PublisherKalikal Sarvagya Shri Hemchandracharya Navam Janmashatabdi Smruti Sanskar Shikshannidhi Ahmedabad
Publication Year2014
Total Pages198
LanguageSanskrit, Prakrit
ClassificationMagazine, India_Anusandhan, & India
File Size14 MB
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